सैलानियों के स्वागत को तैयार हजारीबाग वन आश्रयणी
हजारीबाग : उत्तरी छोटनागपूर प्रमंडल के मुख्यालय हजारीबाग शहर से करीब 15 किमी दूर एनएच 33 पर स्थित है
हजारीबाग : उत्तरी छोटनागपूर प्रमंडल के मुख्यालय हजारीबाग शहर से करीब 15 किमी दूर एनएच 33 पर स्थित है हजारीबाग वन आश्रयणी। कभी राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाने वाला यह प्राकृतिक सघन जंगल नेशनल पार्क का दर्जा रखता था। यहां प्राकृतिक वातावरण में जंगली जानवर स्वछंद रूप से विचरण करते थे।
यहां जंगल के राजा शेर के अलावा मुख्य रूप से चीतल, सांभर, नीलगाय, बा¨क्रग डीयर, सियार, हाइना, भालू, तेंदुआ आदि जंगली जानवर बड़ी संख्या में पाए जाते थे। इस नजारे को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक यहां ¨खचे चल आते थे। विशेष रूप से नेश्नल पार्क स्थित टाइगर ट्रैप लोगों के आकर्षण का केंद्र हुआ करता था। पर्यटक इस वन परिसर में वाच टावर से इनका नजारा करते थे। धीरे धीरे स्थिति में गिरावट आई। समुचित व्यवस्था और देखभाल के अभाव में जंगली जानवरों की संख्या में कमी होती चली गई। जलस्त्रोतों की स्थिति में निरंतर कमी के कारण यह स्थल अपनी पुरानी पहचान खोने लगा। इसके साथ ही साथ पर्यटकों की संख्या में लगातार कमी दर्ज की जाने लगी। कई जानवर विलुप्त भी होते गए। इसका सीधा प्रभाव पर्यटकों की संख्या पर पड़ा। साथ ही साथ सरकारी राजस्व में भी कमी होने लगी।नतीजा यह हुआ की नेशनल पार्क से यह वन आश्रयण में तब्दील हो गया। इतना सब कुछ होने के बाद विभाग द्वारा स्थिति में सुधार का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। परिसर में जलस्त्रोत की स्थिति में सुधार किया जा रहा है। आश्रयणी में पांच स्थानों रजडेरवा, बागमारा, महतोअहरा, सालपर्णी और कलाद्वार में वाटर स्टोरेज व्यवस्था की गई है। वन आश्रयणी स्थिति रेस्ट हाउस की स्थिति में पर्याप्त सुधार किया जा रहा है। रजडेरवा रेस्ट हाउस के पास स्थित झील में बो¨टग की भी सुविधा उपलब्ध है। 24 बेड के साथ कैंटीन की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा कई कॉटेज व डारमेट्री की व्यवस्था की गई है। जाड़े के मौसम में पर्यटकों व सैलानियों की संख्या में काफी इजाफा हो जाता है। कोलकाता सहित प्रमुख शहरों से पर्यटक आते है। आश्रयणी के करीब 200 जंगली जानवरों के भोजन की भी व्यवस्था की जाती है। यहां पर्यटक व सैलानी स्वचछंद रूप से जंगली जानवरों को विचरण करने का नजारा देखते हैं।