Lok Sabha Polls 2019: बदहाल है कनहरी पहाड़ी, ध्वस्त हो रहा गुंबद
Lok Sabha Polls 2019. वर्ष भर में जिले में करीब तीन से चार सौ करोड़ रुपए की विकास योजनाओं को धरातल पर उतरा जाता है। सात सौ करोड़ रुपए की लागत से मेडिकल कॉलेज बनाया जा रहा है।
हजारीबाग, जासं। वर्ष भर में जिले में करीब तीन से चार सौ करोड़ रुपए की विकास योजनाओं को धरातल पर उतरा जाता है। सात सौ करोड़ रुपए की लागत से मेडिकल कॉलेज बनाया जा रहा है। देश की नवरत्न कंपनियों में से एक एनटीपीसी और अन्य करीब आधा दर्जन कोल कपंनियां अपने सीएसआर मद से जिले को खुबसूरत और भव्य बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।
लेकिन उतर पूर्व दिशा में होने के कारण हजारीबाग में बादलों को रोक कर वर्षा कराने से लेकर कालजयी कवि गुरु र¨वद्र नाथ टैगोर व फणीश्वर नाथ रेणु की कविता और कहानियों के सृजन का केंद्र रही कनहरी पहाड़ी के लिए किसी के पास भी एक फूटी कौड़ी नहीं है। वन विभाग के लिए यह सौतेला है पर जन प्रतिनिधियों की कभी भी आवाज नहीं बन सकी।
सरकारी और जन प्रतिनिधियों की लापरवाही से अपनी पहचान खोती कनहरी पहाड़ी 1. 84 वर्ग किलोमीटर में फैली है। पहाड़ी की उंचाई करीब 100.30 सौ मीटर है । पहाड़ी की शहर के लिए उपयोगिता और भविष्य को देखते हुए 1965 में तत्कालीन मुख्यमंत्री केबी सहाय ने पहाड़ी पर पहुंचने के लिए सीढ़ी और पहाड़ी की चोटी पर बादलों से अठखेलियों करने के लिए मीनार भी बनवाया था।
कभी भी ध्वस्त हो सकती है छतरी
मीनार पर्यटन की ²ष्टि से कनहरी पहाड़ के ऊपर से शहर के मनोरम दश्य के लिए पहाड़ी पर बनाई गई छतरी कभी भी ध्वस्त हो सकती है। छतरी के लिए बनाए गए छह खंभों में एक टूट कर अलग हो चुका है। दूसरा खंभा भी टूटने के कगार पर है। वहीं उसके बेसमेंट में गड्ढे हो गए हैं, जहां बारिश के दौरान पड़ने वाला पानी उसकी नींव को खोखला कर रही है।
टूट गई है उपर जाने की सहायक दीवार
पहाड़ के ऊपर बनी छतरी पर पहुंचने और सुरक्षा की ²ष्टि से बनाई गई सीढि़यों पर सहायक दीवार भी टूट गई है। अगर लोग सावधानी न बरतें तो शायद कनहरी पर हर दिन एक की जान जा सकती है। इतना ही नही छतरी के नीचे बने बेस मेंट में भी दरार आ गई और गुबंद के प्लास्टर भी गिरने लगे है।
सीढि़यों से गायब हो गई ईंट
करीब डेढ़ सौ मीटर ऊंचे कनहरी पहाड़ की तलहटी से ऊपर जाने के लिए आठ सौ सीढि़यां बनाई गई है। पांच दशक पूर्व बनाई गई ये सीढि़यां आज गायब सी हो गई हैं। आधे से अधिक स्थानों पर बनाई गई सीढि़यों के ईंट तक गायब हो गए हैं। स्थिति यह है कि पहाड़ी पर जाने वाले लोग मिट्टी और पत्थर का सहारा देकर सीढि़यों को काम के लायक बनाया गया है।
घट गई है पर्यटकों की संख्या
कभी सुबह से लेकर शाम तक कनहरी पहाड़ी पर पर्यटकों का जमावड़ा हुआ करता था, लेकिन आज इनकी संख्या सिमट कर दस प्रतिशत पर रह गई है। इसके पीछे का कारण पहाड़ी पर सीढि़यों का गायब होना और गिरते मीनार हैं। इसे लेकर संभावित खतरा को देखते हुए लोग सपरिवार अब वहां जाने से बच रहे हैं।
पांच दशक से नहीं हुुई मरम्मत
कनहरी पहाड़ को खूबसूरत बनाने के लिए पिछले 53 सालों में एक भी ईंट नई नहीं जोड़ी गई और न मरम्मत की गई। पूर्वी वन प्रमंडल के अंतर्गत यह क्षेत्र आता है। विकास के नाम पर पहाड़ी के दूसरी छोर पर वन विभाग ने एक गेस्ट हाउस बनाया। इसकी आजतक देखरेख और रख रखाव मरम्मत का कार्य वन विभाग कर रही है।
कई अन्य राज्यों में सरकार ने छोटे-छोटे पर्यटन स्थलों को बेहतर रूप से विकसित किया है। कनहरी पहाड़ी पर्यटन की दृष्टि से सबसे उपयुक्त है, इसके बावजूद आजतक इस दिशा में किसी ने एक लाईन भी बोलना मुनासिब नहीं समझा। जन प्रतिनिधि के साथ प्रशासन भी इस मामले में निष्टठूर है। -अभिजीत कुमार
हजारीबाग जंगलों के लिए प्रसिद्ध रहा है, कनहरी शहरी क्षेत्र में बसा एक मनोरम और नैसिर्गिक स्थान है, जिसे विकसित कर हजारों लोगों का पेट पाला जा सकता था। इसे लेकर सीआरपीएफ कमाडेंट मुन्ना ¨सह ने पहल की। वे पहले और अंतिम पदाधिकारी थे, जिन्होंने कनहरी की विकास की बात उठाई। सफाई अभियान चलाया। -अधिवक्ता रंजन कुमार
हजारीबाग में ऐसे कई स्थान हैं, जहां बिना कोई मतलब का करोड़ो खर्च हो गए। लेकिन कनहरी के विकास के लिए एक कदम भी नहीं उठाया गया। कनहरी को संवार कर फिल्म से लेकर पर्यटन की ²ष्टि से इसे विकसित किया जाता तो यह हजारीबाग की प्रसिद्धि और बेहतर होती। थोड़े खर्च में इसे बेहतर बनाया जा सकता है। यह हमारी पहचान है और आने वाली पीढि़यों के लिए जानकारी का खजाना भी है। -संजय कुमार सिन्हा
सरकार के साथ-साथ वन विभाग भी इसके लिए दोषी है, स्थानीय स्तर से इसके विकास के लिए आम लोग भी सामने नहीं आए। कनहरी को प्राथमिकता में रखकर इसका विकास किया जा सकता है। यह हर दृष्टि से बेहतर साबित होगा। -मनीष कुमार ठाकुर