लोक सभा---अब भी मयस्सर नहीं है लोगों को शुद्ध पेयजल
हजारीबाग गिरते भू-गर्भ जलस्तर के कारण लोगों के लिए शुद्ध पेयजल की उपलब्धता बड़ी समस्या बन
हजारीबाग : गिरते भू-गर्भ जलस्तर के कारण लोगों के लिए शुद्ध पेयजल की उपलब्धता बड़ी समस्या बनती जा रही है। वहीं हजारीबाग जैसी जगहों पर जहां भू-गर्भ जल में आर्सेनिक व फ्लोराइड सहित अन्य हानिकारक तत्वों की बड़ी मात्रा है ,वहां लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं कराना उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ ही माना जाएगा। लगभग 2.5 लाख की आबादी वाले इस शहर के लिए शुद्ध पेयजल अब भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है, जिसके समाधान का वादा तो हर कोई करता है, लेकिन वादा पूरा कोई नहीं करता है। आज आलम यह है कि शुद्ध पयेजल के लिए डिब्बों के पानी का उपयोग करना लोगों की विवशता है।
जानकारी के अनुसार शहरी क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा लगभग 60 वर्ष पूर्व 60 के दशक में छडवा डैम में पंप हाउस बैठाकर पाइपलाइन सिस्टम तैयार कर इंद्रपुरी, बस स्टैंड व पीटीसी में बनाए गए टावरों के माध्यम से जलापूर्ति प्रारंभ की गई। लेकिन बीतते समय के साथ बढ़ती आबादी के दबाव को लेकर पानी की खपत बढ़ती गई व लोगों के लिए पेयजल की समस्या बढ़ गई। फिर लगभग 42 वर्षों के बाद वर्ष 2004 में छड़वा डैम में ही एक दूसरा पंप हाउस बनाया गया। इन दोनों पंप हाउस के माध्यम से शहर की छह जलमीनारों के माध्यम से प्रतिदिन 6 लाख गैलन शुद्ध पेयजल लोगों को उपलब्ध कराने का दावा किया जाता है। लेकिन लगभग छह दशक पूर्व बैठाए गए रोज पाइपलाईन फटने के कारण शुद्ध की जगह गंदा पेयजलापूर्ति के कारण लोग डिब्बों का पानी पीने को विवश हैं। व्यवस्था पुरानी रहने के कारण लोगों को शुद्ध पेयजलापूर्ति नहीं होती है। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री द्वारा विगत 17 फरवरी को कोनार जलापूर्ति योजना का शिलान्यास किया गया है। इस योजना के माध्यम से देश के 56 हजार घरों में पेयजलापूर्ति की जाएगी। इस योजना के पूरा होने में लगभग 3 वर्ष का समय लगेगा।