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आध्यात्मिक उन्नति का महान स्त्रोत है भक्तामर : आचार्य

हजारीबाग : भक्तामर आध्यात्मिक उन्नति का एक महान स्त्रोत है। यह साधना का श्रेय है। उक्त बातें

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 08:01 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 08:01 PM (IST)
आध्यात्मिक उन्नति का महान स्त्रोत है भक्तामर : आचार्य
आध्यात्मिक उन्नति का महान स्त्रोत है भक्तामर : आचार्य

हजारीबाग : भक्तामर आध्यात्मिक उन्नति का एक महान स्त्रोत है। यह साधना का श्रेय है। उक्त बातें आचार्य श्री 108 शीतल सागर जी महाराज ने बड़ा बाजार दिगंबर जैन भवन में आयोजित भक्तामर महामंडल विधान के समापन के अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भक्तामर की साधना आध्यात्म की साधना है, आत्म विकास की साधना है। साथ ही कहा कि भक्तामर की आराधना कर्म निर्जरा की आराधना है। ज्ञात हो कि आचार्य श्री 108 शीतल सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में दिगंबर जैन पंचायत के इतिहास में प्रथम बार भक्तामर स्त्रोत पाठ व महाअर्चना का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान आचार्य श्री के मुखार¨वद से ऋति मंत्र जाप के साथ 48 जोड़ा द्वारा मंडला दीपक के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

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इससे पूर्व दीप प्रज्वलन के साथ समाज के अध्यक्ष धीरेन्द्र सेठी व महामंत्री पवन अजमेरा ने किया। वहीं आचार्य श्री ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज तक कोई भी व्यक्ति भगवान की भक्ति किए बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं कर पाया है व न ही करेगा। अत: जीवन मे भगवान की भक्ति करना आवश्यक है। साथ ही कहा कि जिस व्यक्ति को कुछ नही आता है, वह व्यक्ति शुद्ध मन से भक्तामर का पाठ करके जिनेद्र देव की निष्काम भक्ति कर संपूर्ण दुरोतो को नष्ट कर आध्यात्मिक उन्नति करता है। बताया कि भगवान की भक्ति करके अपने निजात्मा का परिचय पाना ही सबसे बड़ी साधना है । इसके साथ ही गुरूवार को 48 दिवसीय भक्तामर महामंडल विधान का हवन के साथ समापन किया गया। इस मौके पर जैन समाज के बड़ी संख्या में श्रद्धालु व मीडिया प्रभारी विजय लुहाड़िया उपस्थित थे।


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