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समस्त परिग्रह से मुक्त होने का नाम आ¨कचन है : मुनि श्री

हजारीबाग : समस्त प्रकार के परिग्रह से मुक्त होने का नाम आ¨कचन है। संसार के सम्पूर्ण प्रदार्थ

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 07:43 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 07:43 PM (IST)
समस्त परिग्रह से मुक्त होने का नाम आ¨कचन है : मुनि श्री

हजारीबाग : समस्त प्रकार के परिग्रह से मुक्त होने का नाम आ¨कचन है। संसार के सम्पूर्ण प्रदार्थ के प्रति ममत्व छूट जाना आ¨कचन हैं। आ¨कचन ही सुख और आनंद का स्त्रोत हैं। उसे प्राप्त करना ही सर्वश्रेष्ठ साधना है। ये बातें जैन मुनि श्री शीतल सागर महराज ने अपने प्रवचन में दिगंबर जैन मंदिर में लोगों को संबोधित करते हुए कही। इससे पूर्व जैन भवन में श्री जिनचक्र महामंडल चौबीस तीर्थकर विधान में श्री जी का अभिषेक, शांतिधारा व जिनेन्द्र पूजन का कार्यक्रम आचार्य श्री के सानिध्य में श्रद्धापूर्वक हुआ।

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दोपहर में 2.30 बजे दशलक्षण व्रत, दस दिन का निर्जला उपवास रखें प्रेमलता लुहाड़िया व ऋषि अजमेरा के लिए समाज के द्वारा विनती का कार्यक्रम हुआ। संध्या में 7 बजे भव्य महाआरती व भोपाल से आये संगीतकार मनीष एंड पार्टी द्वारा सुन्दर भजनों की प्रस्तुति की गई, जिसमें भक्तगण झूम उठे। 8.30 बजे रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम जैन महिला समाज के द्वारा नाटिका रिश्ता वही सोच नई का मंचन किया गया। रश्मि बोहरा व सोना विनायका इस नाटिका की संयोजिका थी।मीडिया प्रभारी बिजय लुहाडीया ने बताया कि कल अनन्त चतुर्दर्शी की शोभा यात्रा दोपहर 1.00 बजे बोड़म बाजार दिगंबर जैन मंदिर से पालकी जुलूस प्रारंभ होगी।पर्यूषण पर्व के कल अंतिम दिन आचार्य श्री का मंगल प्रवचन उत्तम ब्रह्याचर्य धर्म पर होगा। 26 ¨सतबर को क्षमावाणी पर्व के साथ यह पयूर्षण महापर्व सामाप्त हो जाएगा।


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