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बहोरनपुर में ध्यान केंद्र की खोदाई पूरी, आश्रयस्थल का चल रहा काम

संवाद सहयोगी हजारीबाग पुरातात्विक विभाग फेज तीन पटना के अगुवाई में सदर प्रखंड के बहोर

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Feb 2021 07:03 PM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2021 07:16 PM (IST)
बहोरनपुर में ध्यान केंद्र की खोदाई पूरी, आश्रयस्थल का चल रहा काम
बहोरनपुर में ध्यान केंद्र की खोदाई पूरी, आश्रयस्थल का चल रहा काम

संवाद सहयोगी, हजारीबाग : पुरातात्विक विभाग फेज तीन पटना के अगुवाई में सदर प्रखंड के बहोरनपुर स्थित ईटवा टिल्हा में चल रहे खोदाई के प्रथम चरण में बौद्ध धर्म का ध्यान केंद्र ²ष्टिगोचर हुआ है। ध्यान केंद्र में खोदाई का कार्य पूरा हो गया है, फर्श मिलने के साथ ही अब नींव की स्थित जानने के लिए खोदाई का कार्य चल रहा है। अबतक ध्यान केंद्र का रूप स्पष्ट हो चुका है। इनमें प्रवेश द्वारा पूर्व में होने के साथ साथ मुख्य ध्यान केंद्र के बगल में दो कक्ष भी बने है। वहीं ध्यान केंद्र के चारों ओर परिक्रमा के लिए तीन चौड़ी गली बनाई गई है। दीवारें डेढ़ मीटर है और फर्श भी सुर्खी चुन्ना से बनाया गया है। पुरातात्विक पदाधिकारियों के अनुसार ये स्पष्ट हो चुका है कि बहोरनपुर में बौद्ध संतों का मठ हुआ करता होगा। तीन कमरों का ध्यान केंद्र था और पश्चिम की ओर दरवाजा खुलता था जो सीधे उनके आश्रय स्थल की ओर जाती थी। आश्रय स्थल को हीं लोग इटवा टोली कहते है। दूसरे चरण का खोदाई कार्य यहां संचालित किया जा रहा है।

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आश्रम स्थल की खोदाई में मिल रहे घड़े, किल और मूर्तियां

जानकारी के अनुसार ध्यान केंद्र मठ स्थल से पश्चिम की ओर 50 मीटर दूर बौद्ध संतों का आश्रय स्थल होगा। आश्रय स्थत करीब 60 गुणा 60 फिट का होगा और यह शायद दो मंजिला होगा। यह अंदेशा मठ की स्थिति और आश्रय स्थल की उंचाई से लगाया जा र हा है। खोदाई में करीब 50 से अधिक प्रशिक्षित मजदूर लगाए गए है। अबतक इनके द्वारा खोदाई में किल, मिट्टी के घड़े और प्रतिमाओं के अवशेष मिल रहे है। दो अन्य प्रतिमा भी ²ष्टिगोचर हो रहा है। शायद यह मां तारी की प्रतिमा या किसी अन्य की है। पूरा बाहर आने के बाद हीं इस दिशा में कुछ कहा जा सकता है।

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मिल चुका है अष्टदल कमल, मां तारा की खंडित प्रतिमा सहित अन्य सामान

बहोरनपुर के ईटवा टिल्हा पहाड़ी के तलहटी में प्रथम चरण में अष्टदल कमल, मां तारा की खंडित प्रतिमा, बुद्ध की प्रतिमा सहित कई ऐतिहासिक प्रमाण मिले है। जिसे सुरक्षित रखा गया है।

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10 से 11 वीं शताब्दी के समय रहा स्थापित रहा होगा मठ

बहोरनपुर बौद्धों का आध्यात्मिक केंद्र रहा होगा। यहां से बोधगया की दूरी 140 किलोमीटर तथा कौलेश्वरी हंटरगंज की दूरी 90 किलोमीटर तथा प्रसिद्ध मां भद्रकाली मंदिर की दूरी 50 किलोमीटर है। तीनों स्थल पर बौद्धों के प्रमाण मिले है। ऐसे में संभावना जताया जा रहा है कि तप और ध्यान के लिए लोग हजारीबाग के सीतागढ़ा आते होंगे।


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