विभावि में शिक्षण और शोध की गुणवत्ता होगी बेहतर
संवाद सहयोगी हजारीबाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय के 14 वें कुलपति के रूप में नए कुलपति डॉ. म
संवाद सहयोगी, हजारीबाग : विनोबा भावे विश्वविद्यालय के 14 वें कुलपति के रूप में नए कुलपति डॉ. मुकुल नरायण देव ने पद भार ग्रहण किया। कुलपति के आगमन की प्रतीक्षा पूरा विश्वविद्यालय परिवार 10:30 बजे सुबह से ही प्रशासनिक भवन के द्वार पर शारीरिक दूरी का पालन करते हुए कर रहा था। कुलपति के पहुंचते ही प्रति कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा कुलसचिव डॉ. बंशीधर प्रसाद रूखैयार व अन्य पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया। कुलपति कक्ष में सभी पदाधिकारी कई विभागाध्यक्ष शिक्षक शिक्षकेतर ने नए कुलपति का स्वागत किया। कुलसचिव डॉ बंशीधर रूखैयार ने सभी पदाधिकारियों व शिक्षकों का परिचय बारी-बारी से करवाया।
इसके पश्चात कुलपति डॉ. मुकुल नारायण देव ने मीडिया के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। कहा कि विश्वविद्यालय की टीम के साथ विकास के नए प्रतिमान स्थापित करेंगे। अद्यतन पाठ्यक्रम की पढ़ाई करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्तरीय शोध कार्य पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा। पाठ्यक्रम की समीक्षा कर अन्य विश्वविद्यालयों से यह बेहतर हो इसका भी ख्याल रखा जाएगा। 2019 की चुनौतियों को स्वीकारते हुए विश्वविद्यालय में पठन-पाठन बाधित ना हो इसका ध्यान रखा जाएगा। शिक्षकों की कमी आने वाले समय में नेट की तैयारी दूरस्थ शिक्षा समेत कई बिदुओं पर उन्होंने अपने विचार दिए। समय पर पाठ्यक्रम का पूरा होना परीक्षा लिया जाना और परीक्षाफल प्रकाशित करना इस पर भी विशेष रूप से केंद्रित किया जाएगा। मौके पर प्रति कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा, कुलसचिव डॉ बंशीधर प्रसाद रुखैयार, पीआरओ डॉक्टर प्रमोद कुमार उपस्थित थे। आर्यभट्ट सभागार में डॉक्टर सजल मुखर्जी, डॉ. जयदीप सान्याल, डॉ. भुनेश्वर महतो, डॉक्टर केके गुप्ता, डॉक्टर उदय शंकर सिंह, रामजी सिंह, डॉ. शैलेश शर्मा, डॉ. विमल रेवन समेत कई कॉलेज के शिक्षक गण भी उपस्थित थे।
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राकेश गुप्ता ने कुलपति का किया स्वागत शहर के गणमान्य समाजसेवी सह जदयू नेता राकेश गुप्ता ने नए कुलपति का स्वागत बुके देकर किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को एक वैज्ञानिक का अनुभव प्राप्त होने वाला है जिसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को भी काफी लाभ पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि पहली बार हजारीबाग जिले के व्यक्ति को विश्वविद्यालय के मुखिया के रूप में स्थापित किया जाना गर्व की बात है।