पुराना दुर्गा मंडप में 121 वर्षो से हो रहा दुर्गा पूजा
दारू (हजारीबाग) दारू के पुराने दुर्गा मंडप का इतिहास 121 वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना वर्ष
दारू (हजारीबाग) : दारू के पुराने दुर्गा मंडप का इतिहास 121 वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना वर्ष 1899 में भैया बैजनाथ सहाय ने की थी। इसके प्रथम पुजारी उदय भान मिश्रा थे। दारू में दुर्गा पूजा उस समय से मनाई जा रहा है जब हजारीबाग शहर को छोड़ कर अन्यत्र कहीं भी दुर्गा पूजा नहीं होती थी। प्रारंभ में यहां पूजा छोटे खपरैल मंडप में प्रारंभ की गई थी, पर आज यहां माता के भक्तों के सहयोग से एक भव्य मंडप का निर्माण कर पूजा अर्चना की जा रही है। इस भव्य मंडप के निर्माण के लिए समिति के अध्यक्ष भैया संतोष कुमार के पिता भैया करुणा सिधु प्रसाद के द्वारा जमीन दान दी गई। वर्तमान स्थान पर जहां पूजा अर्चना की जा रही है वह 87 वर्ष पूर्व इस स्थान पर स्थानांतरित किया गया था । पिछले 75 वर्षों तक स्व. भैया शीतल प्रसाद के निगरानी में सफलतापूर्वक दुर्गा पूजा मनाई गई। पुजारी आचार्य उदय भान मिश्र के बाद 57 वर्षो तक आचार्य स्व. बैजनाथ शर्मा के द्वारा यहां पूजा की गई । वर्ष 2020 में उनके देहांत के बाद आचार्य का पद उनके छोटे पुत्र श्रीनिवास शर्मा को दिया गया। यहां नवमी और दशमी के दिन दारू प्रखंड के अलावा टाटीझरिया, चुरचू, इचाक एवं सदर प्रखंड के विभिन्न गांव से श्रद्धालु पूजा अर्चना करने यहां पहुंचते है।