पाल काल में बड़ा आध्यात्मिक व सांस्कृतिक केंद्र रहा होगा बहोरनपुर
संवाद सहयोगी हजारीबाग सदर प्रखंड का बहोरनपुर पाल काल में बौद्ध धर्म का प्रमुख आध्यात्मिक अ
संवाद सहयोगी, हजारीबाग : सदर प्रखंड का बहोरनपुर पाल काल में बौद्ध धर्म का प्रमुख आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रहा होगा। अबतक की खोदाई में यह संकेत मिल रहे हैं। खोदाई से प्राप्त अवशेष, मठ, प्रतिमा और पूर्व की ओर बनाए गए इष्ट देव की मंदिर, घंट इस बात का गवाह है। पुरातात्विक विभाग के पदाधिकारियों का भी यही राय है। यहां दूसरे चरण में इटवा टिल्हा की खोदाई हो रही है। इटवा टिल्हा 30 गुणा 30 मीटर वर्गाकार है। जमीन से करीब 20 -25 फिट उंचाई है। पुरातात्विकविदों के अनुसार यहां दो मंजिला इमारत हो सकती है, जिसकी नींव को लेकर मध्य में खोदाई की जा रही है। अबतक इटवा टिल्हा से पांच प्रतिमा व ध्यान केंद्र प्रथम से तीन प्रतिमाएं प्राप्त हुई है। इनमें मां तारा की डेढ़ फिट की खंडित प्रतिमा, तीन घंट कुंट, बुद्ध का ध्यान मुद्रा में प्रतिमा है।
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बहोरनपुर के खोदाई के चार प्वाइंट है, केवल दो में शुरु हुआ है काम बहोरनपुर में अबतक जांच में चार प्वाइंट प्राप्त हुए है। इनमें केवल दो स्थान पर खोदाई का कार्य शुरु हुआ है। दो अन्य स्थल में कुआं और तालाब के उपरी क्षेत्र है। इसके अलावा दो अन्य छोटे छोटे साधना स्थली भी पहाड़ी के तराई में है। पुरातात्विक विभाग के पदाधिकारियों के अनुसार अभी कई और प्वाइंट जंगल में भी है, जिसकी तलाश करनी है। दूसरे चरण में इटवा टीला का राज बहोरनपुर में बौद्ध मठों का संरक्षण के कारण, इतिहास और विकास बता सकती है।
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प्रतिमा मिलने की खबर फैलते हीं उमड पड़ा हुजूम
बहोरनपुर खोदाई स्थल पर दोपहर में प्रतिमा मिलने की सूचना फैलते हीं खोदाई स्थल पर लोगों का हुजूम उमड़़ पड़ा। सबकी नजर प्रतिमा की एक झलक पाने को लेकर थी। लोगों का हुजूम को देखते हुए पुरातात्विक पदाधिकारी व कर्मचारी लोगों से सावधानी पूर्व आने, देखने का आग्रह करते दिखाई दिए।
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पुरातात्विक संरक्षण समिति ने सुरक्षा और संरक्षण को लेकर उठाया मांग
पुरातात्विक संरक्षण समिति के अरुण यादव, गुर हेतु मुखिया महेश तिग्गा , अजीत कुमार , ग्रामीण रमेश केरकेट्टा, मनोज तिर्की, महेश दीघा, दीप लाल केरकेट्टा, शंभू केरकेट्टा, नरेश फिगर तिग्गा, रवि कुमार, वीरेंद्र प्रसाद, नितेश तिग्गा ने पुरातात्विक स्थल का संरक्षण और संवर्धन की मांग की है। मुखिया अरुण ने बताया कि खोदाई स्थल को संरक्षित करने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार और जन प्रतिनिधि को इसके लिए आगे आना होगा। बताया कि सदर विधायक इस दिशा में सदन में भी मांग उठा चुके है। संसद में भी हजारीबाग के बहोरनपुर और मुख्यमंत्री तक यह मामला जाए। इसके लिए आंदोलन की जरूरत होगी, जिसे हम सब मिलकर पूरा करेंगे।