नूर की किरण फूटी आपके घराने से..
हजारीबाग नूर की किरण फूटी आपके घराने से दो जहां हुआ रौशन आप ही के आने से
हजारीबाग : नूर की किरण फूटी आपके घराने से, दो जहां हुआ रौशन आप ही के आने से ..। नात व मनकबत और फैजान खानाकाह सूफिया असदकिया का मंजर चिश्ती नगर में पांच फरवरी बरोज बुध जारी था। मौका था सालाना उर्स-ए-असदकी का। अजमेरी मस्जिद के सामने मैदान में पूर्वाह्न नौ बजे से होने वाले उर्स कार्यक्रम की सदारत पीरे तरीकत सैयद शाह शाकिर असदकी ने की। जलसे में बतौर मुकर्रिर खास रांची से मौलाना मंजूरुल हसन बरकाती और गुमला से मौलाना इब्राहीम रब्बानी शामिल हुए। अपनी तकरीर में इन हजरात ने ईमान और वसीले के मौजू पर तकरीर फरमाई। इनके अलावा शायरे इस्लाम जनाब साजिद रजा बरकट्ठा और अलहाज जफर अकील ने भी नात व मनकबत पेश कर लोगों का ईमान ताजा किया। नेजामत की जिम्मेवारी हाफिज सरफराज नाजां गुमला ने बखूबी निभाई। बाद में सलातो सलाम और दुआ के बाद लंगर व शीरनी तकसीम की गई। इस अवसर पर मकामी ओलमा और अइम्मा मसाजिद भी मौजूद थे। विशष रूप से काजी शहर हाफिज मो. यूनुस फैजी, पेशे इमाम जामा मस्जिद, पेशे इमाम अजमेरी मस्जिद हाफिज मो. आरिफ असदकी, हाफिज मो. शमशेर आलम, हाफिज मो कलीम, हाफिज मो कासिम, हाफिज मो. सिकंदर, हाफिज मो. बेलाल, हाफिज मो. रउफ, हाफिज मो. शरीफ आदि शामिल थे। जलसे के सफल आयोजन में खिदमते खल्क सोसायटी के अलावा पीरे तरीकत के मुरीदान ने सक्रिय भूमिका निभाई। इस अवसर पर विशेष रूप से मो. नौशाद खान, साबिर कुरैशी, मो. औरंगजेब, कमरुल होदा, मो. रिजवान, मो. अशफाक, मो. खालिद, मो. कफील, मो. जावेद, मो. आजम, मो. अशरफ, मो. नसीम, पप्पन, मो. मुदस्सिर, कैफी, सोनू आदि सक्रिय थे।