दवा देनी थी मवेशियों को, फेंक दी गई नदी किनारे
बड़कागांव एक ओर सरकार द्वारा पशुपालन को बढ़ावा देने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं।
बड़कागांव : एक ओर सरकार द्वारा पशुपालन को बढ़ावा देने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। वहीं दूसरी और कुछ विभागीय अधिकारियों और कर्मियों की लापरवाही से मवेशियों के काम आने वाली दवाएं बड़ी संख्या में प्रखंड मुख्यालय के पीछे स्थित बड़की नदी स्थित मंझला बाला के पास फेंक दी गई। बरामद दवाओं में जनेवा टेबलेट, रुचामैक्स पाउडर और मवेशियों के कैल्शियम की दवाएं शामिल हैं। यह दवाएं कृत्रिम गर्भाधान, दुग्ध उत्पादन बढ़ाने, पाचन में बढोत्तरी के काम आती हैं। रुचामैक्स पाउडर की मेनुफैक्चरिग वर्ष 2017 और एक्सपायरी वर्ष जनवरी 2017 है। जानकारी के अनुसार जनेवा टेबलेट बाजार में 40 से 50 रुपये में एक पत्ता मिलता है। रुचामैक्स 250-300 रुपये पैकेट तथा कैल्शियम 170 से 180 रुपये मे मिलता है। किसानों ने बताया कि इन सभी दवाइयों के ना मिलने से हम लोगों को मार्केट से यह दवाइयां खीरदनी पड़ती जिससे हम लोगों को काफी पैसा लगाना पड़ता है।
ऐसे में झारखंड सरकार गायों को खिलाने के लिए पशुपालकों के बीच मुफ्त वितरण के लिए दवा देती है। इन दवाओं का नदी किनारे फेंक दिया जाना विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। इस मामले को लेकर जिला पशुपालन विभाग और जिला गव्य विकास विभाग ने पल्ला झाड़ते हुए किनारा कर लिया है।
कोट--
- दवाओं के फेंके जाने का मामला काफी गंभीर है। इसकी समुचित जांच करवाई जाएगी। वैसे पशुपालन विभाग द्वारा इन दवाओं का वितरण वर्षों से नहीं किया गया है। न ही विगत एक दशक से ऐसी दवाओं की खरीद ही की गई है - डा. आपी पांडेय, जिला पशुपालन पदाधिकारी
कोट--
- इन दवाओं का वितरण गव्य निदेशालय रांची द्वारा बायफ केंद्र संचालकों के बीच किया गया था। स्थानीय स्तर पर इसकी खरीद व वितरण नहीं की गई है। यह भी वास्तविकता है कि बायफ केंद्र संचालकों की विगत एक वर्षों से हड़ताल चल रही है
- जिला गव्य विकास पदाधिकारी केके सिंह
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