उग्रवादी समझ ग्रमीणों ने हरवे-हथियार से लैश हो पुलिस को घेरा
देवाकी गांव में ग्रामीणों ने अपराधी होने की आशंका में पुलिस को घेर लिया।
घाघरा : ग्रामीण क्षत्रों में लगातार हो रही हत्या व अन्य हिंसात्मक घटनाओं ने पुलिस की हनक कम कर दी है। पुलिस से सुरक्षा की उम्मीद छोड़ ग्रामीणों ने खुद अपनी सुरक्षा के लिए कमर कस ली है। घाघरा थाना के देवाकी गांव में गत सप्ताह अपराधियों द्वारा एक युवक की हत्या व ग्रामीणों द्वारा एक अपराधी के सेंदरा के बाद ग्रामीणों ने शाम को गांव में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दिया है। वहीं इसकी जानकारी थाना को नहीं दी गई थी, इसी गफलत में शनिवार की रात पुलिस को उग्रवादी या अपराधी समझ सैकड़ों ग्रामीणों ने पारंपरिक हथियार के साथ घेर लिया। बताया गया कि देवाकी गांव में थाना प्रभारी उपेंद्र कुमार महतो के नेतृत्व में पुलिस गश्त कर रही थी। गांव में अखड़ा के पास पुलिस का वाहन खड़ा था। तभी तीन युवक वहां से गुजर रहे थे, पुलिस ने ऊंची आवाज में युवकों को अपने पास आने को कहा। गत सप्ताह की घटना से आशंकित युवक यह समझ बैठे कि पुलिस के वेश में उग्रवादी या अपराधी बदला लेने गांव में आ गए हैं। तीनों युवक वहां से भाग गए, गांव में जाकर लोगों को बताया। कुछ ही समय में गांव के सैकड़ों युवक बलुआ, टांगी, तलवार, लाठी-डंडा से लैश होकर निकल पड़े। उन्होंने गांव से निकलने वाले हर मार्ग को जाम कर दिया। मार्ग जाम करने के बाद ग्रामीण जब आगे बढ़े तो अखड़ा के पास थाना प्रभारी को अन्य जवानों के साथ पाया। जवान चारों ओर से घिरे हुए थे लेकिन पुलिस की पहचान उजागर होने के बाद ग्रामीण संयमित हुए लेकिन पुलिस पर तीनों युवकों से गाली-गलौच व अपराधी जैसा बर्ताव करने का आरोप लगाया जबकि पुलिस ने इससे साफ इन्कार किया। ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस गांव आए लेकिन अच्छा व्यवहार करे। ग्रामीणों ने कहा कि संयोग की बात थी कि जिस समय ग्रामीण आक्रोशित होकर घर से निकले थे उस समय गांव में अंधेरा था। पुलिस के नजदीक आते ही लाइट आ गई तब थाना प्रभारी को लोगों ने पहचान लिया। वहीं थाना प्रभारी ने गांव में अंधेरा या सुनसान होने की बात से इन्कार किया है।