पर्यटन स्थल का दर्जा की आस लगाए हैं पालकोट के लोग
संवाद सूत्रपालकोट सौंदर्य धर्म और इतिहास की त्रिवेणी माने जाने वाले पालकोट के लोगों को इस
संवाद सूत्र,पालकोट : सौंदर्य, धर्म और इतिहास की त्रिवेणी माने जाने वाले पालकोट के लोगों को इस स्थल को पर्यटन स्थल का दर्जा मिलने का अब भी इंतजार है। प्रकृति ने यहां कई अनुपम उपहार भी दिए हैं। उन उपहारों में निर्झर, घोड़लता पहाड़, ऋषिमुक पर्वत, शीतलपुर, मलमलपुर और गोबरसिल्ली पहाड़ भी शामिल हैं। सबकी अपनी विशेषता है। सब में विशेष आकर्षण है। यही कारण है कि लोग यहां खींचे हुए चले आते हैं। यहां की प्राकृतिक विशेषता को देखकर लोग चकित भी रह जाते हैं। पालकोट नागवंशी राजाओं की उपराजधानी भी रही है। यहां की दसभुजी मां दुर्गा की प्रतिमा अपने आप में अप्रतिम है। जहां निर्झर लोगों की प्यास बुझाती है। पालकोट ड्राईजोन में शामिल है। इसी ड्राईजोन में प्रकृति के नीचे से लगातार पानी निकलते रहता है। इसी को लोग देखकर चकित होते हैं। पालकोट में एक घोड़लता पहाड़ है। इस पहाड़ में एक गुफा है। गुफा में पवन पुत्र हनुमान की पृष्ठांकित प्रतिमा है। इस गुफा में पानी की बूंदे टपकते रहते हैं लेकिन पानी के स्त्रोत का कोई पता नहीं चला। इसी पालकोट में एक गोबरसिल्ली पहाड़ है। यह पहाड़ एक स्तंभनुमा है। इसके ऊपर के चट्टान के बीच चौड़ी दरारें हैं। इसे देखकर लोग यही अनुपान लगाते हैं कि यह अब गिरा तब गिरा। लेकिन यह सदियों से यथावत रूप में खड़ा है। यही अनुसंधान का विषय है। अनुसंधान में ही तो जिज्ञासा है। आकर्षण है। कहा जाता है कि यहां मलमलपुर और शीतलपुर पहाड़ है। इसी पहाड़ में एक सुरंग बना हुआ है जिसके बारे में सीधे छत्तीसगढ़ निकलता था। यह नागवंशी राजाओं की उप राजधानी थी। नागवंशी राजा शैव धर्मावलंबी हैं लेकिन इनकी एक रानी दुर्गा की उपासक थी जिनकी पूजा के लिए यहां दशभुजी मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई। इन सारी विशेषताओं के कारण यहां के लोगों को सरकार से पर्यटन स्थल मिलने की उम्मीद बनी रही है। मौका मिला दर्जा नहीं
2010 में विमला प्रधान सिमडेगा की विधायक बनी थी और पर्यटन विभाग की मंत्री भी। लेकिन विमला प्रधान भी यहां के लोगों की चीर लंबित मांगों को पूरा कराने में कामयाब नहीं रही। दो टर्म विधायक रहने के बाद भी मांग पूरी नहीं करा सकी। मिला मौका काम नहीं आया। क्या कहते हैं ग्रामीण
पालकोट को पर्यटन का दर्जा मिलना ही चाहिए। यहां की गुफा और घूमने के लिए दर्शनीय स्थल लोगों को खींच लाती है। निर्झर और डोंगी में मीठा जल गिरता है कभी समाप्त नहीं होता।
कुमुद षाडंगी
पालकोट सिर्फ पर्यटन स्थल बनाने का हमें आश्वासन मिलता रहा है। पालकोट एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। इसलिए इस स्थल को पर्यटन स्थल का दर्जा मिलने का उम्मीद पाले हैं।
संजय षाडंगी, पालकोट पंपा भवानी, पंच मुखी हनुमान, बुढ़ा महादेव, दसभुजी मां इसी पालकोट में बिराजते हैं। निर्झर और गोबरसिल्ली पहाड़ भी है। पर्यटन स्थल बनने से रोजगार मिलेगा।
मनोज केसरी
पालकोट