एनडीआरएफ की टीम जो नहीं कर सकी उसे कर दिखाया स्थानीय गोताखोरों ने
हीरादह में 15 नवंबर को शंख नदी में पिकनिक मनाने गए गुमला के
संजय कुमार सिंह, रायडीह : हीरादह में 15 नवंबर को शंख नदी में पिकनिक मनाने गए गुमला के डूबे तीन युवकों को खोजने में प्रशिक्षित एनडीआरएफ की टीम नाकामयाब रही। टीम ने हाथ खड़े कर दी और परिजन निराश हो गए। शुक्रवार को स्थानीय मछुआरों और गोताखोरों ने थाना रोड के अभिषेक कुमार गुप्ता के शव को खोज निकाला जिससे लोग यह कहते सुनाई पड़ रहे हैं कि जो काम एनडीआरएफ की टीम नहीं कर सकी उसे स्थानीय लोगों ने कर दिखाया। स्थानीय लोग प्रति दिन सुबह से शाम तक नदी किनारे डूबे युवकों की तलाश में जुटे रहते थे। आखिर उन्हें कामयाबी मिली। उनका अनुभव काम आया। इसे देखते हुए डूबे सुमित गिरि और सुनील कुमार भगत के स्वजन स्थानीय लोगों से सतत संपर्क बनाए हुए हैं। स्वजनों को उम्मीद है कि सुनील और सुमित के शव को स्थानीय गोताखोर खोज निकालेंगे। कारण दह में मछली पकड़ने के कारण दह के सुरंग का उन्हें अंदाज और अनुभव है।
गोताखोरों ने कहा कि परंपरागत रूप से हैं प्रशिक्षित
गोताखोर रमजा गांव के गणपत सिंह, रामदेव सिंह, जितवाहन सिंह और तारालोया गांव के राजू नाग ने कहा कि जब यहां पुल नहीं था तो नदी पार करने की मजबूरियां थी। मजबूरी में नदी पार करने के लिए तैराकी बनना पड़ा था। यह नदी स्थानीय लोगों के जीवीकोपार्जन का भी साधन है इसमें बड़ी बड़ी मछलियां है। मछलिया पकड़ने के लिए उन्हें नदी में डुबकी लगानी पड़ती है। मछलियां नदी के सुरंग में समा जाती है जिन्हें पकड़ने के लिए उन्हें सुरंग में जाना पड़ता है। इस कारण सुरंगों का उन्हें अनुभव है। नदी किनारे घूमने और शिकार करने के कारण भी डूबे हुए लोगों के फंसने और बहकर निकलने का भी वे लोग अनुभव रखते हैं। उनलोगों में भी मानवीय संवेदना है। इसलिए गुमला के डूबे हुए लोगों को खोजना उनका फर्ज बन रहा था। इस कारण से वे नदी किनारे गए थे। और एक शव को बेहते हुए देखा था। जिसे वे निकालने में कामयाब रहे। बाकी दो शवों को खोजने के लिए स्वजनों ने उनसे मदद की गुहार लगाई है। परिजनों ने स्थानीय बैगा पुजार से जल नदी का पुजा कराया है। देवी शक्ति शवों का मिलने का विश्वास कायम है।