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नसीब नहीं हुआ अपनों का साथ, चली गई जिंदगी

बाटम कोरोना के भय से परिजन भी नहीं आए सामने अब भी हो जाएं सचेत जागरण संवाददादा गुमला क

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 12:04 AM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 12:04 AM (IST)
नसीब नहीं हुआ अपनों का साथ, चली गई जिंदगी

बाटम

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कोरोना के भय से परिजन भी नहीं आए सामने, अब भी हो जाएं सचेत

जागरण संवाददादा, गुमला : कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। गुमला में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा सात सौ पार हो चुका है इसके बावजूद लोग नहीं सुधर रहे है। कोरोना काल का सबसे बुरा पहलू है एकांत की घुटन भरी मौत। अपनों से आखिरी मुलाकात, आखिरी स्पर्श भी कोरोना मरीज को नसीब नहीं होता। वह अपनों को देखने व मिलने के लिए तड़पता रहता है लेकिन कोरोना की घुटन भरी मौत के आगे उसकी कुछ नहीं चलती है। . बिशुनपुर प्रखंड के चटकपुर निवासी अर्जुन साहू भी अपनों से मिलने के लिए तड़पता रहा लेकिन कोरोना के भय से अपने भी पराये हो गए और अर्जुन ने तड़पते-तड़पते रविवार की तड़के दम तोड़ दिया। मौत तो अर्जुन की हो गई लेकिन उसका अंतिम संस्कार में अपने शामिल नहीं हो सके। सदर अस्पताल के ही चार कर्मचारियों ने पीपीई किट पहनकर उसके गांव के बाहर ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया। यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी गुमला में कोरोना से मौत होने के बाद उनके शव के पास भी स्वजन नहीं जाना चाहते। मौत कई बहानों से आती है। लेकिन जाते हुए लोगों को, अपनों के हाथ थामें रहते हैं। परिवार, परिजनों का पूरा मनोविज्ञान ही यही है कि वो कष्ट में आसपास हों, दर्द बांटें, देखभाल करें। कोरोना ने लोगों के वर्षों पुराने सिस्टम को ही पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। यह एक ऐसी विवशता है जिसमें सामने बंद होती आंखों में आखिरी बार अपनों का अक्स तक नहीं नसीब हो पाता।

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