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जिले में खुला झारखंड का पहला मत्स्यीकि प्रोद्योगिकी कालेज

निर्मल सिंहगुमला मत्स्यीकि प्रोद्यौगिकी कालेज की कक्षाएं अब गुमला के राम नगर स्थित कालेज के लिए

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Sep 2021 07:34 PM (IST)Updated: Sat, 11 Sep 2021 07:34 PM (IST)
जिले में खुला झारखंड का पहला मत्स्यीकि प्रोद्योगिकी कालेज
जिले में खुला झारखंड का पहला मत्स्यीकि प्रोद्योगिकी कालेज

निर्मल सिंह,गुमला : मत्स्यीकि प्रोद्यौगिकी कालेज की कक्षाएं अब गुमला के राम नगर स्थित कालेज के लिए बने भवन में चलेगा। इससे पहले इस कालेज की कक्षाएं बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची में संचालित होती थीं। यह मत्स्यीकि कालेज झारखंड का पहला कालेज है। इस कालेज की स्थापना से गुमला के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय जु़ड़ गया है। लगभग साढ़े आठ एकड़ भूखंड में मत्स्यीकि कालेज बना है जिसमें अध्ययन कक्ष, कार्यालय, होस्टेल, स्टाफ क्वाटर, लैब एवं तालाब उपलब्ध है। इस कालेज की शुरुआत वर्ष 2017 में ही आरंभ हो गया। भवन निर्माण का काम पूरा नहीं होने और संसाधन उपलब्ध नहीं होने के कारण इस कालेज की कक्षाएं बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में संचालित हो रही थी। चार वर्षीय डिग्री कोर्स की पढ़ाई पूरा कर वर्ष 2017-21 का बैच निकल चुका है। अब सभी बैच के कक्षाएं गुमला में चलेगी। द्वितीय वर्ष और तृतीय वर्ष की कक्षाएं आनलाइन चल रही है जबकि चतुर्थ बैच की कक्षाएं आफलाइन लिया जा रहा है। संयुक्त प्रवेश परीक्षा से चयनित विद्यार्थियों का नामांकन का प्रावधान है। कोविड के कारण नए बैच का नामांकन नहीं हो सका है। क्या कहते हैं शिक्षक :

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मत्स्यीकि कालेज के शिक्षक डा.जगपाल, प्रो. ज्ञानदीप गुप्ता कहते हैं कि गुमला के लिए यह कालेज एक बहत बड़ा उपहार है। यह झारखंड का पहला मत्स्यीकि प्रोद्योगिकी कालेज हैं। झारखंड में उपलब्ध जलीय संसाधन के अनुकूल रोजगार के असीम संभावनाएं हैं। विद्यार्थियों के लिए कक्षा के साथ-साथ किसानों को भी प्रशिक्षण दिया जा सकता है। इससे मत्स्य पालन में सहायक साबित होगा। छात्रावास एवं तकनीकी शिक्षा की भी सुविधाएं हैं। क्या कहते हैं विद्यार्थी :

गुमला मत्स्यीकि प्रोद्योगिकी कालेज में अध्ययनरत 2018-22 बैच के विद्यार्थी महेश शर्मा, जेसु बनर्जी, शिव कुमार यादव, प्रियंका, संगीता बेक और आराधना कुजूर कहते हैं कि झारखंड में जलसंसाधन थे लेकिन तकनीकी शिक्षा का अभाव था। राज्य का यह पहला मत्स्यीकि प्रोद्योगिकी कालेज हैं, इसकी शुरुआत से राज्य के विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। यहां संसाधन काफी है लेकिन तकनीकी जानकारी का अभाव था। पढ़ाई करने से ऐसा लग रहा है कि मत्स्यीकि क्षेत्र में भी रोजगार के असीम संभावनाएं हैं। वे चाहती है कि झारखंड में भी मछली का उत्पादन केन्द्र बने। किसान मत्स्य पालन कर आत्मनिर्भर बनें।


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