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भूमि पूजन से त्रेतायुग के राम जन्मोत्सव जैसा बना माहौल : सांसद

जागरण संवाददातागुमला सांसद सुदर्शन भगत ने कहा है कि जब अयोध्या में बुधवार को प्रधानमंत्री र

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 10:00 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 10:00 PM (IST)
भूमि पूजन से त्रेतायुग के राम जन्मोत्सव जैसा बना माहौल : सांसद
भूमि पूजन से त्रेतायुग के राम जन्मोत्सव जैसा बना माहौल : सांसद

जागरण संवाददाता,गुमला : सांसद सुदर्शन भगत ने कहा है कि जब अयोध्या में बुधवार को प्रधानमंत्री रामलला मंदिर का भूमि पूजन कर रहे थे तो देश दुनिया में वही माहौल बन गया था जब भगवान राम की जन्म की खबर सुनकर उल्लास और उत्साह का माहौल त्रेतायुग में बना था। लोग आनंदमय थे। भूमि पूजन से पूरे देश और दुनिया में आनंद और उल्लास का वहीं वातावरण देखने और सुनने को मिला। सांसद ने कहा कि भूमि पूजन से लोग आनंद की पराकाष्ठा में डूबे थे। पांच सौ वर्षों की तपस्या और संघर्ष के परिणाम के रूप में पावन दिन आया था। इसे स्वर्णिम स्वप्न के साकार होने का दिन भी माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के भूमि पूजन से रामलला के भव्य मंदिर बनने का सपना साकार होने जा रहा है। भूमि पूजन का साक्षी बनने का करोड़ों लोगों को अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम मानवता के आधार हैं। धर्म संस्कृति और सामाजिक परंपराओं की धुरी, धर्म के आदर्श पथ प्रदर्शक हैं। राम सबमें विराजमान है। सब राममय है। उन्होंने कहा कि वनवास के दौरान भगवान राम ने सबों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया था। केवट को गले लगाया। वनवासियों की तरह जीवन व्यतीत किया। कुटिया का निर्माण कराया। जमीन पर सोकर कंद मूल का सेवन किया। वनवास के दिनों उनका आदिवासियों से अनन्य संबंध बना। झारखंड के आदिवासियों को भी भगवान राम के साथ रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। झारखंड में भगवान राम,माता सीता और लक्ष्मण के साथ रामरेखा धाम आए थे। वहां सीता चूल्हा, अग्नि कुंड, चरण पादुका, गुप्त गंगा के चिह्न अब भी देखे जा रहे हैं। सांसद ने कहा कि हनुमान जी के बिना राम का काज अधूरा माना जाता है। हनुमान जी ने भगवान राम के सभी संकटों को दूर किया। यह परम सौभाग्य की बात है कि गुमला के आंजन धाम में भगवान राम के भक्त हनुमान का जन्म हुआ। माता अंजनी वहीं रहती थी। शिव आराधना करती थी। भगवान राम ने वनवास के समय साधु संतों और आदिवासियों की रक्षा की थी। रीति रिवाजों को निभाना और धर्म के मार्ग पर चलकर एक दूसरे का सम्मान करने के लिए प्रेरित किया था। यही वजह है कि आदिवासी समुदायों के रीति रिवाजों और तौर तरीकों में समानता देखने को मिल रही है। प्रभु राम ने हमेशा धर्म कर्म और मानवता की सीख दी। अखंड सनातन भारत के निर्माण के लिए हम सबों को भगवान राम के दिखाए रास्ते पर चलना है। राममंदिर बनने से भगवान राम के चरित्र पुन: जीवंत होगा और आने वाले पीढि़यों को प्रेरणा मिलेगी। अंजनी सुत से हम प्रार्थना करते हैं कि राम लखन सीता सदैव हमारे हृदय में विराजमान रहे।

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