अंधविश्वास से रहें दूर
संवाद सहयोगीगुमला गुमला प्रखंड के अरमई गांव में रविवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पीएलवी नीलम लकड़ा द्वारा ग्रामीणों को कानूनी जानकारी दी। उन्होंन डायन प्रतिषेध अधिनियम के बारे जानकारी देते हुए बताया कि लोगों को अंधविश्वास से दूर रहना चाहिए।
संवाद सहयोगी, गुमला: गुमला प्रखंड के अरमई गांव में रविवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पीएलवी नीलम लकड़ा द्वारा ग्रामीणों को कानूनी जानकारी दी। उन्होंने डायन प्रतिषेध अधिनियम के बारे जानकारी देते हुए बताया कि लोगों को अंधविश्वास से दूर रहना चाहिए। डायन कोई नहीं होता। यह केवल मन का भ्रम है। अंधविश्वास है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में नारी की पूजा होती है लेकिन दूसरी ओर समाज के लोगों द्वारा ही नारी को प्रताड़ित किया जाता है। इस मामले में झारखंड एवं राजस्थान का नाम सबसे ऊपर है? डायन प्रथा के विरुद्ध आंदोलन भी झारखंड से ही प्रारंभ हुआ? अविभाजित बिहार में 22अक्टूबर 1999 में डायन प्रतिषेध अधिनियम लागू किया गया और जब झारखंड राज्य का गठन हुआ तो डायन प्रतिषेध अधिनियम को अंगीकृत किया गया। उन्होंने बताया कि यदि कोई किसी महिला को डायन कहता है तो अधिकतम तीन महीने का कारावास व एक हजार रुपये जुर्माना से दंडित किया जाएगा। यदि डायन बताकर लोगों को उकसाता है तब भी सजा व जुर्माना का प्रावधान है। झांड फूंक से दूर रहने और बीमार होने पर चिकित्सक से इलाज कराने की बात कही।