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शहीद का गांव विकास से कोसों दूर

बाटम चैनपुर के नक्सल प्रभावित गांव उरू में अब तक नहीं पहुंची विकास की किरणयहीं के थे शहीद

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 09:21 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 09:21 PM (IST)
शहीद का गांव विकास से कोसों दूर
शहीद का गांव विकास से कोसों दूर

बाटम

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चैनपुर के नक्सल प्रभावित गांव उरू में अब तक नहीं पहुंची विकास की किरण,यहीं के थे शहीद नयमन

संवाद सूत्र, चैनपुर ( गुमला) : चैनपुर के लाल शहीद नयमन कुजूर का पैतृक गांव नक्सल प्रभावित उरू ग्राम मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। शहीद नयमन कुजूर के पैतृक गांव में ना तो पक्का मकान है ना ही गांव तक अच्छी सड़क और न ही गांव में शौचालय है। शहीद के पिता महानंद कुजूर ने कहा कि उनका पुत्र देश सेवा में शहीद हो गया जिससे हमें काफी गर्व महसूस होता है मगर प्रशासन की अनदेखी से हमें काफी दुख होता है। उन्होंने नम आंखों से बड़े भावुक होकर कहा कि आज तक हमारा पक्का मकान नहीं बना है। न ही हमारे घर में शौचालय है। हमें शौच के लिए आज भी खेतों में जाना पड़ता है इससे हमें काफी परेशानी होती है उन्होंने बताया कि गांव में वे और उनकी पत्नी सुशांति कुजूर जीवन काट रहे हैं हमारा पूरा परिवार गांव से बाहर रहता है। बहू और नाती रांची में रहते हैं। गांव के कुछ ग्रामीणों ने कहा कि गांव के बेटे ने देश सेवा की खातिर अपने प्राणों की आहुति दे दी लेकिन प्रशासन का हमारे गांव के विकास की ओर अब तक ध्यान नहीं दिया। गांव के विकास के वादे भी किए गए थे जो झूठे साबित हुए। आज के युग में गांव मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है गांव में बिजली,नेटवर्क जैसे कई मूलभूत समस्याएं है। गांव में किसी तरह का नेटवर्क नही होने के कारण बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई बाधित हो रही है। कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद है बच्चों की पढ़ाई मोबाइल के द्वारा ऑनलाइन हो रही है मगर हमारे क्षेत्र के बच्चे इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं क्योंकि इस क्षेत्र में कहीं भी मोबाइल का नेटवर्क ही नहीं है। लोगों को विशेष परिस्थितियों में कहीं बात करना होता है तो वे ऊंचे पहाड़ की चोटियों पर जाकर नेटवर्क ढूंड बात कर पाते हैं। शहीद का परिवार आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर है गांव के अन्य घरों का भी यही हाल है लेकिन प्रशासन ने जमीनी हकीकत से विपरीत दावा करते हुए शौच मुक्त गांव होने का बोर्ड लगा रखा है ऐसे में प्रशासनिक दावों की सरेआम धज्जियां उड़ रही है। ज्ञात हो कि छह साल पहले उरी हमले में 18 सितंबर 2016 को जम्मू कश्मीर में नयमन कुजूर शहीद हो गए थे राज्य सरकार ने शहीद के परिजनों को हरसंभव मदद देने का वादा किया था।


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