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मंझगांव पंचायत के ग्रामीण आज भी ढिबरी युग में जीने को मजबूर

संसू डुमरी (गुमला) जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर की दूरी पर झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर अव

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 11:11 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 11:11 PM (IST)
मंझगांव पंचायत के ग्रामीण आज भी ढिबरी युग में जीने को मजबूर
मंझगांव पंचायत के ग्रामीण आज भी ढिबरी युग में जीने को मजबूर

संसू, डुमरी (गुमला): जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर की दूरी पर झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर अवस्थित है प्रखंड का मझगांव पंचायत। जहां की धरती पर जिले का शीर्ष धार्मिक सह पुरातात्विक स्थल बाबा टांगीनाथ धाम विराजमान हैं। इस पंचायत में कुल दस राजस्व ग्राम मझगांव, बंदुआ, नौगाई, कोठी, बरटोली, टाटी, महुवाडीह, लठाटोली एवं डहकुल है साथ ही इन गांव के दर्जनों टोले भी हैं। इस पंचायत की कुल आबादी लगभग आठ हजार है। जहां अजजा, जन जाति एवं पिछड़े वर्ग के लोग निवास करते हैं जो अधिकतर कृषि कार्य से अपना जीवन यापन करते हैं। यहां के ग्रामीणों की मुख्य समस्या सड़क, बिजली, पेयजल, सिचाई एवं स्वास्थ्य सेवा है। टांगीनाथ धाम में झारखंड सहित दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु पधारते हैं। लेकिन मूल भूत सुविधा के अभाव एवं ठहरने की असुविधा के कारण यह पंचायत अभी भी आजादी के इतने समय बीत जाने के बावजूद भी विकास की बाट जोह रहा है। ग्रामीणों की शिकायत है कि जनप्रतिनिधि तो बड़े बड़े वादे करके चले जाते लेकिन जीतने के बाद कोई प्रतिनिधि को हमारी समस्याएं दिखाई नहीं पड़ती। यहां सरकार के द्वारा मिली कई योजनाएं चल तो रही है लेकिन शौचालय, जलमीनार व स्ट्रीट लाईट जैसी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। जिससे ग्रामीण नाखुश हैं। पंचायत में कुछ गांव ऐसे भी हैं जो ढिबरी युग में जीने को मजबूर है।

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हमारे पंचायत के सभी गांव टोला पेयजल के लिए सक्षम है। कुछ पहाड़ी गांवों को छोड़कर सभी जगह सड़क, कालीकरण एवं मिट्टी मुरम रोड का कार्य हो चुका है। लॉकडाउन की वजह से लिटियाचुआं में मिट्टी मुरम रोड स्वीकृत योजना नहीं बन सका है। साथ ही बिजली विभाग की उदासीनता के कारण पठारी क्षेत्रों में विद्युत सेवा नहीं पहुंच सकी है जिसके लिए वे लगातार प्रयासरत हैं। लॉकडाउन की वजह से बहुत सारी विकास योजनाएं प्रभावित हुई हैं जिसका उन्हें मलाल है। वहीं 14 फाइनेंस के तहत जहां भी जलमीनार बना है वह सभी चल रहे है बाकि अन्य मदो से बना जलमीनार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। साथ ही स्ट्रीट लाईट कहीं कहीं खराब हो चुका है।

-प्रकाश एक्का , मुखिया (मझगांव पंचायत)

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प्रखंड मुख्यालय तक आने जाने हेतु सड़क की स्थिति जर्जर है। डुमरी जाने के क्रम में डांडटोली के समीप बासी नदी में बना पुल भी जर्जर हो चुका है। टांगीनाथ धाम जैसे ऐतिहासिक धाम तक की सड़क की स्थिति को देख ऐसा लगता है की जब इतन बड़ा धार्मिक स्थल विकास की पहुंच से कोषों दूर है तो हम जैसे गांव और टोले की भला स्थिति क्या होगी।

-विजय साय, कोठी

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पहाड़ी के ऊपर बसा गांव व आस पास के लुटियाचुआं, बोबदीपानी पाठ, बरटोली पाठ, नवाटोली के लोगों को न तो पेयजल की उचित व्यवस्था है न ही बिजली की कोई व्यवस्था है। अभी भी ढिबरी युग में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। गांव में सड़क, बिजली और पानी की सुविधा मिल जाती तो हमलोग भी औरों की तरह अपना जीवन खुशी पूर्वक बिताते।

-जेठू नागेसिया, लुचुतपाठ

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टांगीनाथ धाम से मात्र एक किलोमीटर की दूरी होने के बावजूद भी यह महुआडीह गांव समस्याओं का दंश झेल रहा है। गांव में लगभग 60 परिवार निवास करते हैं। यहां पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण ग्रामीण कुएं का दूषित जल पीने को मजबूर हैं। दो जलमीनार है जिसमे एक खराब पड़ा है। यहां बिजली के खंभे में स्ट्रीट लाईट लगाया गया था जो अभी खराब पड़ा है।

-नेम्हा बाड़ा, महुआडीह।

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महाशिवरात्रि एवं श्रावण माह सहित विशेष अवसरों में भव्य अनुष्ठान व मेला का आयोजन बाबा टांगीनाथ धाम किया जाता है। लेकिन यहां की सबसे बड़ी समस्या आज सड़क एवं पेयजल की है। श्रद्धालुओं को आने जाने हेतु यदि सड़क की उचित व्यवस्था होती तो यह धाम स्थल पर्यटन का हब के रूप में विकसित हो सकता है।

-गोविद सिंह, मझगांव।

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गांव में बिजली व पानी की समस्या वर्षों से है। हर महीना पंद्रह दिन में यहां बिजली आती है और एक दो दिन के बाद गुल हो जाती है। वर्तमान में ट्रांसफार्मर के खराब हो जाने से हमलोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वहीं मुखिया फंड से हमारे गांव में चार जलमीनार बना था लेकिन अभी एक ही चालू है बाकी के तीन खराब पड़े हैं जिसको देखने वाला कोई नहीं है।

-संतोष प्रसाद केशरी, बंदूआ।


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