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कभी गुलजार होने वाली स्ट्रीट फूड की गलियों में छायी मायूसी

गुरदीप राज गुमला जिस गलियों व सड़कों के किनारे कभी गुलजार रहते थे पाव-भाजी फुचके (

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 10:32 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 10:32 PM (IST)
कभी गुलजार होने वाली स्ट्रीट फूड की गलियों में छायी मायूसी
कभी गुलजार होने वाली स्ट्रीट फूड की गलियों में छायी मायूसी

गुरदीप राज, गुमला : जिस गलियों व सड़कों के किनारे कभी गुलजार रहते थे पाव-भाजी, फुचके (गोलगप्पा) , चाट दही कचौड़ी, चाउमिन, एग रोल और न जाने क्या क्या। जिसके बारे में सोच कर ही मुंह में पानी आने लगता था। शायद फिर से उन चीजों के लिए लोगों की चाहत न जगे। जिस तरह कोरोना संक्रमण ने लोगों की नींद उड़ा दी है। लोग हरी सब्जियां भी खरीदने से भयभीत हो रहे हैं। ऐसे में स्ट्रीट फूड वालों की चिता गहराती जा रही है। क्योंकि अगर उनके ठेलों पर ग्राहक ही नहीं आएंगे तो वे घर परिवार कैसे चलाएंगे। वर्तमान में आंशिक लॉकडाउन के कारण पूरा व्यापार ही चौपट हो गया है। न ठेला निकाल पाते है और न ही सामान बेच पाते हैं। ऐसे में आर्थिक स्थित पूरी तरह से बिगड़ चुकी है। लॉकडाउन खुलने के बाद भी लोग स्ट्रीट फूड की ओर मुंह नहीं करेंगे। यह चिता स्ट्रीट फूड के विक्रेताओं को सताने लगी है। बावजूद इसके आंशिक लॉकडाउन खुलने का इंतजार यह कर रहे हैं ताकि गृहस्थी की गाड़ी फिर से पटरी पर आ सके। गुमला को पालकोट रोड, सिसई रोड, जशपुर रोड, लोहरदगा रोड में स्ट्रीट फूड की दो हजार दुकानें सजी रहती थी लेकिन यहां विरानी छाई है। केस स्टडी :

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1. सिसई रोड निवासी सुरेश कुमार ने बताया कि वह पिछले 10 वर्षों से चाउमिन का ठेला लगाता था। प्रतिदिन 1500 से दो हजार तक की कमाई हो जाती थी। इसी से उनका परिवार चलता था। पिछले बार लॉकडाउन लगा तो घर में अनाज का एक दाना तक नहीं बचा। इस बार फिर से दुकानें बंद हो गयी है। व्यापार पूरा चौपट हो गया है। बार बार कोरोना आने से ठेला खोमचा वालों की रोजी-रोटी पर लाले पड़ने लगे है। रोज कमाते थे तो घर का चूल्हा जलता था। अब और बंदी हुई तो भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। 2. आठ वर्षों से फुचके बेचने वाले कन्हैया ने कहा कि ऐसी हालत कभी नही थी। प्रतिदिन 400 से 600 रुपये की कमाई हो जाती थी। जब से लॉकडाउन हुआ है तब से घर पर ही बैठे हैं। ये कैसी मनहूसी आ गयी है जिसने जंजीरों से हाथ बांध दिये है। चिता यह है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी क्या पहले की तरह हालात होंगे। कई तरह के सवाल मन में उठ रहे हैं। अब तो दाल रोटी कैसे चलेगी यही चिता है।


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