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खौफ के दौर में भी सेवाभाव से डटी रहीं महिला चिकित्सक

साल 2020 को सभी भूलना चाहते हैं लेकिन कोरोना योद्धाओं को याद रखना ही वर्तमान में सच्ची राष्ट

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 08:38 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 08:38 PM (IST)
खौफ के दौर में भी सेवाभाव से डटी रहीं महिला चिकित्सक
खौफ के दौर में भी सेवाभाव से डटी रहीं महिला चिकित्सक

साल 2020 को सभी भूलना चाहते हैं, लेकिन कोरोना योद्धाओं को याद रखना ही वर्तमान में सच्ची राष्ट्रभक्ति होगी। इसी कड़ी में गोड्डा सदर अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ प्रभारानी प्रसाद की सेवा को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कोरोना वॉरियर्स की भूमिका बखूबी निभाई। कोविड केयर एंड कंट्रोल के लिए वर्ष 2020 के दिसंबर माह में उन्हें आईएमए की ओर से नेशनल अवार्ड दिया गया। नई दिल्ली स्थित आईएमए के प्रेसिडेंट की ओर से उन्हें प्रशस्ति पत्र और मेडल दिया गया। कोरोना काल से लेकर अबतक डॉ प्रभा लगातार रोगियों का इलाज करती रहीं। इससे पहले 2020 की शुरुआत में भी डॉ प्रभा चर्चा में आई थी, जब उन्होंने सदर अस्पताल में गोड्डा की तत्कालीन उपायुक्त किरण पासी का ऑपरेशन से प्रसव कराया। इस दौरान सदर अस्पताल के साथ-साथ उपायुक्त किरण पासी भी सुर्खियों में आई थीं। बाद में सदर अस्पताल में कोरोना से संक्रमित चार महिलाओं के प्रसव कराने में भी डॉ प्रभा ने अहम भूमिका निभाई। यह काफी चुनौतीपूर्ण समय था। कई मुश्किलें भी आई। खुद डॉ प्रभा को भी क्वारंटाइन में रहना पड़ा। बावजूद इसके उन्होंने खुद को रिकवर करते हुए अपनी सेवा जारी रखी। 2020 के मार्च महीने से वैश्विक महामारी कोरोना की जद में भारत आ गया था। संताल परगना का गोड्डा जिले में कोरोना का प्रादुर्भाव मई-जून माह में हुआ, जब पश्चिम बंगाल से एक प्रवासी मजदूर पोड़ैयाहाट के लता दिकवानी गांव में आए और जांच में पॉजिटिव पाए गए। उसके बाद से यह सिलसिला चल पड़ा तो थमने का नाम नहीं लिया और देखते-देखते यहां कोरोना मरीजों की संख्या सैकड़ों में पहुंच गई। सितंबर और अगस्त महीना में यहां कोरोना के डेढ़ हजार से अधिक पॉजिटिव मामले सक्रिय थे। जिला मुख्यालय के मंडल कारा में एक साथ डेढ़ सौ कैदी जांच में संक्रमित पाए गए। सदर अस्पताल के महिला वार्ड में प्रसव कराने आई 4 महिलाओं की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। लगातार पॉजिटिव केस मिलने से लोगों के हाथ पांव फूल रहे थे। वह खौफ का भयानक दौर था। जन जीवन घरों में दुबका हुआ। हालांकि इस दौरान रिकवरी रेट भी ठीक-ठाक रहा और लोगों ने सजगता से इस महामारी पर धीरे धीरे काबू पाया। कोरोना काल के इस दौर में कई लोगों ने बेहतर काम किया और लोगों की रक्षा की।

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डॉ प्रभा बताती हैं कि अगस्त माह में कोरोना पॉजिटिव चार महिलाओं का सुरक्षित ऑपरेशन कराकर उन्हें मातृत्व सुख देना कठिन दौर था। जिला प्रशासन की ओर से भी उन्हें कोरोना वॉरियर्स के रूप में सम्मानित भी किया गया। महामारी के खतरे के बीच अपने कर्तव्य को मानवता की सेवा में लगाने वाले समाज के ऐसी ही असली हीरो वस्तुत: तंत्र के तंत्र हैं। तभी लोग डॉक्टर को धरती का भगवान भी कहते हैं।


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