डेरमा गांव तक नहीं पहुंचा विकास
संवाद सहयोगी गोड्डा जिले के बसंतराय प्रखंड अंतर्गत डेरमा गांव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित होकर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। आजादी के 72 साल बाद भी गांव के लोग यातायात पेयजल सिचाई बिजली की अनियमितता स्वास्थ्य शिक्षा सहित अन्य सुविधाओं को तरस रहे हैं। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत महज कुछ ही ग्रामीणों को गैस का कनेक्शन मिला है लेकिन सुदूरवर्ती क्षेत्र रहने के कारण
गोड्डा : जिले के बसंतराय प्रखंड अंतर्गत डेरमा गांव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित होकर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। आजादी के 72 साल बाद भी गांव के लोग यातायात, पेयजल, सिचाई, बिजली की अनियमितता, स्वास्थ्य, शिक्षा सहित अन्य सुविधाओं को तरस रहे हैं। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत महज कुछ ही ग्रामीणों को गैस का कनेक्शन मिला है लेकिन सुदूरवर्ती क्षेत्र रहने के कारण अधिकतर लोग दोबारा गैस सिलेंडर नहीं ले पाए हैं। अधिकतर ग्रामीण आज भी कोयला व गोयठा जलाकर खाना बना रहे हैं। गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य तक की व्यवस्था नहीं है। मध्य विद्यालय स्तर तक की शिक्षा के लिए गांव में ही संसाधन है लेकिन हाइस्कूल की पढ़ाई के लिए यहां के बच्चों को कोसों दूर महेशपुर, बसंतराय जाना पड़ता है। यहां की अधिकतर आबादी खेती पर निर्भर करती है। बावजूद सिचाई की पारंपरिक व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। इस कारण पर्याप्त सिचाई के अभाव में सूख जाती हैं। हालांकि डेरमा के तीनों तरफ नदियां हैं। बावजूद उनकी फसलें सूख जाया करती हैं। इस ओर किसी भी जन प्रतिनिधि का ध्यान नहीं है। डबल इंजन की सरकार में भी यहां विकास नहीं पहुंच पाया। प्रत्येक चुनाव में नेता आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते है। इसके बाद समस्या जस की तस बनी रहती है। डेरमा को सिचाई देने वाली सकरगढ़ा डांड़ भी पिछले दो वर्षों से फेल है। इसका कारण है कि उपर में चकवा नदी के पास गार्डवाल बना दिया गया है। स्थानीय जन प्रतिनिधियों को इस क्षेत्र के किसानों ने इस संबंध में अवगत भी कराया लेकिन महज आश्वासन देने के उपरांत भी कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया। ऐसे में इस बार सोच समझकर अपना नेता का चयन करेंगे।
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क्या कहते हैं ग्रामीण : ग्रामीण सुधीर कुमार झा, विभाष चंद्र झा, जयशंकर झा, सौरभ कुमार आदि का कहना है कि डेरमा गांव में आज तक स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने की दिशा में एक भी जल मीनार का निर्माण नहीं हुआ है। यहां सबसे बड़ी समस्या जल जमाव की है। जगह- जगह सड़क कच्ची रहने के कारण हल्की बरसात में ही गांव में पैदल चलना दूभर हो जाता है। यह क्षेत्र विकास के मामले में अत्यंत पिछड़ा हुआ है। यहां की अधिकतर आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करती है। सरकार की अधिकतर योजनाएं इन गांवों तक पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ देती है। ग्रामीणों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। किसी भी जन प्रतिनिधि को ग्रामीणों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है। कई बार पीएलवी के माध्यम से भी जनसमस्या के संबंध में आवेदन दिया गया बावजूद कोई असर नहीं हुआ है। सिर्फ चुनाव के समय में ही ग्रामीणों के समक्ष समस्याओं के निष्पादन की बात की जाती है। लेकिन चुनाव जीतने के बाद ग्रामीणों के दर्द को कम नहीं किया जाता है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से जल, सिचाई सहित अन्य बुनियादी समस्याओं को दूर करने की मांग की है। वर्जन :
डेरमा पंचायत क्षेत्र में योजनाओं की स्वीकृति दी गई है। अभी कई योजनाएं निर्माणाधीन है। ग्राम सभा की सहमति के आधार पर चयनित विकास कार्य चल रहे हैं। पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित कराने की दिशा में सोलर संयंत्र स्थापित करने की पहल जारी है।
- नीलम देवी, मुखिया, डेरमा पंचायत, गोड्डा।