सोलर लाइट खरीद की होगी जांच
गोड्डा : स्थानीय निकायों द्वारा जिले में लगवाई गई सोलर लाइटों की खरीद की जांच होगी। इसके
गोड्डा : स्थानीय निकायों द्वारा जिले में लगवाई गई सोलर लाइटों की खरीद की जांच होगी। इसके लिए जिला स्तर पर एक कमेटी गठित करने का प्रस्ताव विधानसभा की पंचायती राज व जिला परिषद की समिति ने दिया है। शनिवार को एक दिवसीय दौरे पर यहां पहुंची समिति ने यहां के किसान भवन में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की और विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की। समिति के अध्यक्ष सह गिरिडीह विधायक निर्भय शाहाबादी की अनुपस्थिति में नाला विधायक रवींद्र महतो ने इस बैठक की अध्यक्षता की। इसमें मांडर विधायक गंगोत्री कुजूर व गोड्डा विधायक अमित मंडल शामिल थे। समिति ने माना की मुखियों व जिला परिषद सदस्यों द्वारा खरीदी गई सोलर लाइटों में व्यापक पैमाने पर अनियमितता हुई है। सोलर लाइटों के लिए काफी अधिक राशि का भुगतान किया गया। लगाने के बाद कई जगह एक सप्ताह के बाद ही वह खराब भी हो गई। समिति यह जांच करेगी कि उसकी खरीद नियमानुसार हुई है या नहीं। इसके साथ ही कीमतों की भी जांच-पड़ताल की जाएगी। 14वें वित्त आयोग की राशि खर्च नहीं होने पर आपत्ति : समिति ने 14वें वित्त आयोग की राशि खर्च न होने पर भी आपत्ति जताई। जिले में अब तक मात्र 72 फीसद ही राशि खर्च हुई है। कई जिलों में यह 90 फीसद तक खर्च हो चुकी है लेकिन गोड्डा इसमें काफी पीछे है। समिति ने कहा कि पूर्व ही मुखियों को इस मद से चापाकलों की मरम्मत कराने का निर्देश दिया जा चुका है लेकिन मरम्मत नहीं हुई। बताया गया कि चापाकल मरम्मत के लिए पीएचईडी के पास उपकरणों की कमी है। इसपर समिति ने पीएचईडी को खराब चापाकलों की सूची सभी मुखियों को उपलब्ध कराने को कहा ताकि वे उसकी मरम्मत सुनिश्चित कराएंगे। कहा कि गर्मी से पूर्व सभी चापाकलों की मरम्मत हो जानी चाहिए। इसमें किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिला परिषद की कार्य पद्धति पर नाराजगी : समिति ने जिला परिषद की कार्य पद्धति पर भी नाराजगी जताई। समिति के सदस्य सह गोड्डा विधायक अमित मंडल ने कहा कि जिला परिषद अपने मूल कार्यों को पूरा नहीं कर रही है। कहा कि जिला परिषद को अपने संसाधनों से आय का स्त्रोत विकसित करना था जिससे विकास कार्यों में तेजी आती लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इस दौरान जिला परिषद को अपनी भूमि को चिह्नित कर उसके बेहतर उपयोग का निर्देश दिया गया। लघु पेयजल जलापूर्ति योजनाओं की धीमी प्रगति पर भी नाराजगी जताई गई। 13 माह में बोदरा में चल रही जलापूर्ति योजना का अब तक मात्र दस फीसद ही काम हुआ है। इसके लिए रॉकवेल कंपनी को नोटिस भेजने का निर्देश दिया गया। खाद्य आपूर्ति विभाग की समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि डोर स्टेप डिलिवरी में लगे लोग एक ही ट्रैक्टर पर तीन ट्रिप का सामान लादकर ले जाते हैं। उसपर मजदूर भी बैठ जाते हैं जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है। इसके साथ ही परिवहन नियमों का भी उल्लंघन किया जाता है। कहा गया कि सामान तो एक ही बार में ले जाया जाता है लेकिन पैसा तीन बार का लिया जाता है। बिजली विभाग की समीक्षा के दौरान पाया गया कि ट्रांसफार्मर जलने की वजह से कई पेयजल आपूर्ति योजनाएं बंद हैं। इसके लिए पीएचईडी से समन्वय न होने को जिम्मेदार माना गया। बिजली विभाग को शीघ्र जले हुए ट्रांसफार्मरों को बदलने का निर्देश दिया गया। शिक्षा विभाग की समीक्षा के दौरान युक्तीकरण के दौरान हुई विसंगतियों को दूर करने को कहा गया। ये अधिकारी थे मौजूद : अपर समाहर्ता अनिल तिर्की, डीआरडीए निदेशक अरुण एक्का, आपूर्ति पदाधिकारी विवेक सुमन, पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता अरुण कुमार, सहायक अभियंता समीर मल्लिक आदि।