हंसडीहा- गोड्डा रेल परियोजना में मिट्टी कटाई से स्वत: हुआ जल संरक्षण
संवाद सहयोगी पोड़ैयाहाट हंसडीहा- गोड्डा रेल परियोजना में मिट्टी कटाई से स्वत जल सं
संवाद सहयोगी, पोड़ैयाहाट : हंसडीहा- गोड्डा रेल परियोजना में मिट्टी कटाई से स्वत: जल संरक्षण हो रहा है। इससे यहां 70 से 80 तालाब व सीपेज का निर्माण हुआ है जिससे किसानों को खरीफ और रबी फसल के उत्पादन में लाभ मिल रहा है। आजादी के बाद पहली बार गोड्डा जिला मुख्यालय रेल नेटवर्क से जुड़ा है। यहां आगामी आठ अप्रैल को हमसफर एक्सप्रेस ट्रेन के परिचालन को लेकर रेलवे की ओर से तैयारी भी जोरों पर है। इसके साथ ही यहां रेल परियोजना किसानों के लिए भी मददगार हो गई है। गोड्डा-हंसडीहा रेल लाइन के किनारे दर्जनों गांवों में मिट्टी कटाई से किसानों के खेत और बंजर भूमि अब तालाब और सीपेजे के रूप में तब्दील हो गया है। जल संरक्षण कृषि कार्य के लिए अब वरदान साबित हो रहे हैं। यहां के किसानों को दोहरा लाभ में मिल रहा है। इससे आने वाले समय में इन क्षेत्रों के भूजल स्तर में भी सुधार होने के संकेत हैं। हंसडीहा से पोड़ैयाहाट और फिर पोड़ैयाहाट से गोड्डा के बीच तकरीबन 32 किलोमीटर रेल लाइन का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। निजी जमीन की खुदाई कर उसे बड़े तालाब और गड्ढानुमा पोखर बनाकर अपनी जरूरत को पूरा किया। इस दौरान कई दर्जन पोखर और सीवेज टैंक बन चुके हैं। रेल लाइन के किनारे स्थित चरकाटांड़, दीपना, खैरवारी, सकरी, अमुवार, सुगाथान, हरियारी, नवडीहा, कठौन, भटौंधा आदि मौजा में दर्जनों गांवों के आसपास की खुदाई से तकरीबन 70 -80 छोटे बड़े तालाब बन चुके हैं। इसमें तो बहुतों में सालों भर पानी रह रहा है। उस पानी से आसपास के क्षेत्र के किसान लाभान्वित हो रहे हैं। हरियारी रस्सी टोला के अनंत मुर्मू हो या फिर नवडीहा के सुमन पंडित या कठौन के शिव शंकर मंडल हो या सकरी के विनोद कुमार या सुरेंद्र हांसदा सभी ने बताया कि रेल परियोजना के लिए मिट्टी उठाव से जो गड्ढा बना वह अब किसानों और गांव के लिए काफी उपयोगी बन रहा है। तालाब का आकार ले लिया है इससे खरीफ और रबी दोनों में लाभ मिल रहा है। धीरे धीरे जलस्तर में भी वृद्धि हो रही है। आसपास के क्षेत्र के किसान खेती करने में उसी जमा हुए जल का उपयोग कर रहे हैं। इतना ही रेल लाइन निर्माण के दौरान कई रैयतों की बेकार पड़ी जमीन पर अब पोखर बन जाने से वह मत्स्य पालन की भी संभावना बढ़ गई है। कई किसानों ने तो जमीन का समतलीकरण कराकर अब उसमें खेती भी कर रहे हैं।