13 करोड़ खर्च, नहीं मिला एक बूंद पानी
मेहरमा मेहरमा व ठाकुरगंगटी प्रखंड के के किसानों के लिए महत्वाकांक्षी परियोजना बटेश्
मेहरमा : मेहरमा व ठाकुरगंगटी प्रखंड के के किसानों के लिए महत्वाकांक्षी परियोजना बटेश्वर गंगा पंप नहर योजना में करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद इन दो प्रखंडों को अबतक एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हो सका है। यही नहीं अधूरे पड़े ब्रिज के चलते लोगों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। ब्रिज तथा डायवर्सन नहीं बनाने के कारण आए दिन वाहनों का परिचालन बाधित हो रहा है।
बताया जाता है कि वर्ष 1977 में एकीकृत बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद जो मेहरमा के कसबा गांव के निवासी थे, ने मेहरमा व ठाकुरगंगटी के किसानों को सिचाई सुविधा का लाभ दिलाने के उद्देश्य से इस महत्वाकांक्षी परियोजना की स्वीकृति योजना आयोग से दिलाई थी। उस वक्त योजना की लागत करीब 13 करोड़ 88 लाख रुपये थी। बाद में काम ठप पड़ गया। इसी बीच वर्ष 2009 में निशिकांत दुबे गोड्डा के सांसद बने। उन्होंने इस पुरानी योजना को जीवित करने का काम शुरू किया। इस दौरान बिहार सरकार के सहयोग से योजना को फिर से गति प्रदान की गई। वर्ष 2012 में करीब 48 करोड़ रुपये की लागत से कहलगांव (बिहार) गंगा घाट से मेहरमा-ठाकुरगंगटी प्रखंड होते हुए पुन: कहलगांव तक करीब 29 किलोमीटर तक नहर की खुदाई का काम शुरू कराया गया। इसमें करीब 3 करोड़ रुपये की लागत से 24 ब्रिज भी बनना है।
बताया जाता है कि हरदेव कंस्ट्रक्शन को काम दिया गया। बिहार के हिस्से लगभग 15 किलोमीटर लाइनिग का काम है जो लगभग पूरा हो चुका है। वहीं झारखंड सीमा में भी लाइनिग का काम जहां-तहां पूरा किया जा चुका है और कई जगहों पर अधूरा छोड़ दिया गया है। कुल 18 करोड़ से अधिक राशि खर्च होने के बाद भी योजना अपूर्ण है। बीते 43 वर्षों से यहां के किसानों उक्त योजना के चालू होने की आस है। बताया जाता है कि दो राज्यों की सरकार के बीच समन्वय नहीं होने के कारण योजना पूरी नहीं हो रही है। इससे क्षेत्र के किसानों में मायूसी है।
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अधूरा ब्रिज का डायवर्सन बना जी का जंजाल : मेहरमा-पिरोजपुर एनएच-133 बाईपास मार्ग में शंकरपुर के समीप मेहरमा के पिरोजपुर-भगैया पीडब्ल्यूडी पथ में धमड़ी के समीप का ब्रिज वर्षो से अधूरा पड़ा है। नियमानुसार निर्माण कार्य नहीं होने डायवर्सन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। ना तो डायवर्सन की मरम्मत कराई जा रही है और ना ही ब्रिज के एप्रोच पथ को ही बनाया जा रहा है। आलम यह है कि डायवर्सन में 4 से 5 फीट तक गड्ढे बन गए हैं। इस कारण हर दो-चार दिन पर इसमें चार पहिया वाहन फंस जाता है। इससे घंटों आवागमन बाधित हो जाता है। शंकरपुर के समीप का डायवर्सन की स्थिति इन दिनों काफी भयावह हो गई है। लोगों को जान हथेली में लेकर सफर करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। प्रत्येक दिन कोई न कोई दुपहिया वाहन चालक इसमें दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। बीते गुरुवार की देर शाम एक चार पहिया वाहन डायवर्सन व एप्रोच पथ के बीच फंस गया। करीब 12 घंटे तक कड़ी मशक्कत के बाद वाहन को बाहर निकाला जा सका। वहीं मेहरमा-ललमटिया एनएच 133 में कमरगामा के समीप के ब्रिज में अब तक काम भी शुरू नहीं किया जा सका है।
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- यह योजना जल संसाधन विभाग के मातहत है। लिहाजा प्रखंड स्तर से परियोजना के संबंध में कुछ नहीं कहा जा सकता है। फिर भी विभाग तथा जिला के वरीय अधिकारी को पत्राचार किया जा रहा है। साथ ही क्षतिग्रस्त डायवर्सन को तत्काल प्रखंड स्तर से मरम्मत कराने की दिशा में पहल की जा रही है।
- कुमार अभिषेक सिंह, बीडीओ