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वोट लाकर भी जीत से चूक गए संजय

19 तक बढ़त को बरकरार रखने में भी सफल रहे। सबसे अधिक मत लाने के बाद भी सबसे कम अंतर से 19 साल में पहली बार राजद प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। वर्ष-2014 व 2016 में 34 हजार से अधिक मतों से हार गये थे। इसके पहले 2012 में लगभग 12 हजार मतों से हार थे। हार के बाद कहा कि जनता के जो सम्मान दिया इसके लिए जनता के आभारी है कहा कि भाजपा प्रत्याशी ने अंतिम समय में पैसा का खेल खेला जिसके कारण यह स्थिति बनी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Dec 2019 08:44 PM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 06:20 AM (IST)
वोट लाकर भी जीत से चूक गए संजय
वोट लाकर भी जीत से चूक गए संजय

गोड्डा: राज्य गठन के बाद राजद से संजय प्रसाद यादव इस चुनाव में इकलौता सबसे अनुभवी उम्मीदवार थे जो लगातार छह बार चुनाव मैदान में रहे और दो बार क्रमश: 2000 व 2009 में विधायक भी चुने गये। इसके बाद भी लगातार भाजपा से मुकाबला होता रहा। लेकिन किस्मत मंजिल तक आकर दगा दे गयी। यह नहीं पहली बार राजद प्रत्याशी को कांग्रेस व झामुमो से गठबंधन होने के बाद सबसे ज्यादा मत मिले लेकिन जीत से दूर रह गये। संपन्न चुनाव में संजय प्रसाद यादव का रिकार्ड 82 हजार 2 सौ 63 मत मिला जिसकी उम्मीद भी राजद का नहीं रही होगी। इतना मत लाने के पीछे बड़ा कारण है पुरे चुनाव मैनेजमेंट को उन्होंने खुद संभाल कर रखा था और जो फीडबैक मिलते थे कार्यकर्ता से रायमशविरा कर उसे अमली जाम पहनाते थे कार्यकर्ता के बजाय खुद रात हो दिन गांव तक जाते थे। पिछले दो माह तो पूर्व विधायक व राजद प्रत्याशी जमकर पसीना बहाया था जिसका परिणाम रहा कि पहली बार सभी वर्ग व धर्म के लोगों का साथ मिला जिसकी उम्मीद भी उन्हें नहीं थी खुद उन्होंने इस बार को कई बार दोहराया भी कि पहली जिस तरह सभी का सहयोग मिला इसके लिए यहां की जनता आभारी रहेंगे और जीत गये तो सभा इसके लिए आभारी बना रहेंगे। जहां इनके बातों व व्यवहार से प्रभावित होकर कई ऐसे लोग भी जुड़े जो भी राजद की ओर कभी नहीं थे। इसका परिणाम भी रहा कि उन्होंने सीटिग भाजपा विधायक को कांटे की टक्कर दी 25 राउंड की मतगणना में 19 राउंड तक बढ़त बनाकर रखी आखिर चार पांच राउंड में पिछड़ गए। जो हार का कारण बन गई। यही नहीं 2000 से लेकर अबतक पहली बार ऐसा हुआ जहां कांटे का मुकाबला हुआ। और 19 तक बढ़त को बरकरार रखने में भी सफल रहे। सबसे अधिक मत लाने के बाद भी सबसे कम अंतर से 19 साल में पहली बार राजद प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। वर्ष-2014 व 2016 में 34 हजार से अधिक मतों से हार गये थे। इसके पहले 2012 में लगभग 12 हजार मतों से हार थे। हार के बाद कहा कि जनता के जो सम्मान दिया इसके लिए जनता के आभारी है कहा कि भाजपा प्रत्याशी ने अंतिम समय में पैसा का खेल खेला जिसके कारण यह स्थिति बनी।

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