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रेलवे लाइन के निर्माण के साथ हो रहा जलसंरक्षण

हंसडीहा गोड्डा रेल लाईन की पटरी पर जल संरक्षण का इंजन दौड़ रहा है। यह सुनने में कुछ अटपटा जरूर लग रहा है लेकिन यह सोलह आने सच है। कहावत है ना आम का आम और गुठली का दाम । बस रेल लाइन के निर्माण में कुछ ऐसा ही हुआ है अर्थात हंसडीहा से गोड्डा रेल लाइन निर्माण में रेल लाइन के दोनों और कम से कम 70 से ज्यादा तालाब व गड्ढे खोदे गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 06:31 PM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 06:40 AM (IST)
रेलवे लाइन के निर्माण के साथ हो रहा जलसंरक्षण
रेलवे लाइन के निर्माण के साथ हो रहा जलसंरक्षण

पोड़ैयाहाट : हंसडीहा गोड्डा रेल लाइन की पटरी पर जल संरक्षण का इंजन दौड़ रहा है। यह सुनने में कुछ अटपटा जरूर लग रहा है लेकिन यह सोलह आने सच है। कहावत है आम के आम और गुठली के दाम। बस रेल लाइन के निर्माण में कुछ ऐसा ही हुआ है अर्थात हंसडीहा से गोड्डा रेल लाइन निर्माण में रेल लाइन के दोनों और कम से कम 70 से ज्यादा तालाब व गड्ढे खोदे गए हैं। जिसमें काफी पानी जमा है और उस पानी से आसपास के क्षेत्रों के किसान लाभान्वित भी हो रहे हैं। आने वाले समय में इन क्षेत्रों में जलस्तर में भी सुधार होने के संकेत हैं।

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हंसडीहा से गोड्डा तक तकरीबन 32 किलोमीटर रेल लाइन का निर्माण कार्य जारी है। इस रेल लाइन के निर्माण को लेकर काफी मिट्टी की जरूरत संवेदक को पड़ रहा है । संवेदक आसपास के सरकारी जमीन या फिर किसी निजी व्यक्ति के जमीन की खुदाई कर उसे पोखरनुमा और गड्ढानुमा बनाकर अपनी जरूरत को पूरा कर रहा है। रेल किनारे स्थित चरकाटांड़, दीपना, खैरवारी , सकरी ,अमुवार, सुगाथान, नवडीहा , कठौन सहित दर्जनों गांव के आसपास इस खुदाई से तकरीबन 70 छोटे छोटे बड़े तालाब बन चुके हैं। कुछ में पानी अधिक और कुछ में पानी बरसा नहीं पड़ने के कारण नहीं है। कुछ में तो सालों भर पानी रहता है।

नवडीहा गांव के किसान सुमन पंडित, हरियारी के सुशील टूडू , कठौन के भूदेव कुमार साह, सकरी को विनोद कुमार आदि ने बताया कि रेल लाईन के लिए माटी उठाव के बाद जो गड्ढा हुआ है, वह काफी उपयोगी है। यदि बारिश ठीक-ठाक हो और पोखर तथा गड्ढा भर जाए तो खरीफ और रबी दोनों फसल आसपास के क्षेत्रों में तो होगा ही साथ ही जलस्तर भी में वृद्धि होगा। लेकिन दुर्भाग्य है कि अभी पानी ही नहीं पड़ रहा है जिन जिन गड्ढों में या पोखर में पानी है उसके आसपास के क्षेत्रों में किसान जमकर खेती कर रहे हैं। उसी संचित जल का उपयोग कर रहे हैं। रेल लाइन के दरमियान कई निजी लोगों ने भी बेकार पड़े जमीन पर अपने पोखर खुदवा लिए अब उसमें मत्स्य पालन के लिए सोच रहे हैं। कई किसानों ने तो जल के जमीन का समतलीकरण कराकर अब उसमें खेती कर रहे हैं और ऐसे किसानों के लिए रेलवे के द्वारा खोदा गया गड्ढा वह समतलीकरण वरदान बन गया है। हालांकि कई लोगों ने बताया कि कई गड्ढे ऐसे हैं जो जानलेवा भी हैं जिसमें कई लोगों व एवं पशुओं की जान जा चुकी है क्योंकि यह गड्ढे जो है पूरे खड़ा ढाल का है।


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