Move to Jagran APP

राजमहल की पहाड़ियों में छिप कर फिरंगियों से लेते रहे लोहा

संताल परगना का गोड्डा क्षेत्र स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान फिरंगियों के लिए चुनौती भर दुर्गम क्षे

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 08:39 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 06:17 AM (IST)
राजमहल की पहाड़ियों में छिप कर फिरंगियों से लेते रहे लोहा

संताल परगना का गोड्डा क्षेत्र स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान फिरंगियों के लिए चुनौती भर दुर्गम क्षेत्र रहा था। यहां राजमहल की पहाड़ियों में छिप कर आंदोलनकारी अग्रेजी हुकूमत की चूलें हिलाया करते थे। 11 अगस्त 1942 को बिहार सचिवालय गोलीकांड के बाद गोड्डा और बांका में युवाओं के अंदर अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा भड़का । इस गोलीकांड में सात छात्र शहीद हुए थे वहीं दर्जनों घायल हुए थे। उस समय के प्रसिद्ध क्रांतिकारी सियाराम-ब्रह्मचारी का दल राजमहल की पहाड़ियों में सक्रिय था। जंगलों में बैठकर अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की रणनीति तैयार होती थी। अंग्रेजी हुक्मरानों को इस दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति का पता भी था। गोड्डा के पथरगामा निवासी युगल किशोर चौबे ( 91) तब किशोरावस्था में थे।

loksabha election banner

चौबे बताते हैं कि गोड्डा के दर्जनों क्रांतिकारी राजमहल की पहाड़ियों में करीब ढाई साल पर छिपे रहे। इस दौरान वन्यप्राणियों से भी सामना होता था। खुंखार भालुओं से भी सामना होता था। ढाई साल बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और पटना में जज के सामने प्रस्तुत किया गया। जज ने माफी मांगने की शर्त रखी तो युगल किशोर चौबे ने माफी मांगने से मना कर दिया। उन्हें तिरंगा फहराने के जुर्म में छह माह का कारावास की सजा हुई। स्वतंत्रता सेनानी ने बताया कि करीब तीन चार साल तक लगातार आंदोलनों में सक्रिय रहने के कारण अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं कर सके। उनके साथ समकालीन आंदोलनकारी बैकुंठ झा, श्रीधर राय, सीताराम झा, सरल भगत, केदार साव, रामकिशोर साव, पांडू तांती, सत्यरायण झा, महेंद्र झा आदि भी अंग्रेसी पुलिस के हत्थे चढ़ गए।

-------------------------------------- विदेशियों से लड़ाई लड़ने का दिया था प्रशिक्षण

कालांतर में 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण ने नेपाल की तराई में रहकर विदेशी शासन को अस्त-व्यस्त एवं पंगु करने के लिए युवाओं को प्रशिक्षण भी दिया था। संताल परगना से भी काफी संख्या में लोग गए थे। जेपी ने जब आजाद दस्ता भी बनाया था। बिहार प्रांत में आजाद दस्ता का नेतृत्व सूरज नारायण सिंह कर रहे थे। गत वर्ष नई दिल्ली में 9 अगस्त को एट होम कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने गोड्डा जिले के दो स्वतंत्रता सेनानी क्रमश: युगल किशोर चौबे तथा नंद किशोर मांझी (99) जो बंसतराय के हिलावै के रहने वाले हैं को सम्मानित किया था। इस वर्ष भी जिला प्रशासन की ओर से अगस्त क्रांति दिवस पर एक दर्जन स्वतंत्रता सेनानी व उनके परिजनों को सम्मानित किया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.