दाढ़ीघाट को नहीं मिली पगडंडी से निजात, परेशानी
दाढ़ीघाट को नहीं मिली पगडंडी से निजात
पथरगामा : पथरगामा प्रखंड के अंतर्गत दाढ़ीघाट गांव के लोग कच्ची पगडंडी के सहारे आवागमन करने को विवश हैं। आजादी से अबतक इस गांव को पक्की संपर्क सड़क से नहीं जोड़ा गया। पगडंडी के सहारा आवागमन कर यहां की कई पीढि़यां खप गईं। दाढ़ीघाट गांव के चारों तरफ खेत बहियार है। प्रखंड मुख्यालय से दाड़ीघाट गांव की दूरी 2 किमी है। कच्चे मार्ग पर बरसात के दिनों में आवागमन करना मुश्किल होता है। गांव में स्वास्थ्य सेवाएं भी नहीं मिलती है। शिक्षा और सिचाई की स्थिति भी चौपट है। शासन तंत्र इस गांव के विकास के प्रति कभी गंभीर नहीं रहा है। यहां बीमार पड़ने पर लोगों को नीम-हकीमों के पास ही इलाज कराना पड़ता है।
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क्या कहते हैं ग्रामीण : गांव के प्रमोद कुंवर, फौदी सिंह, विकास राउत, अरविद महतो, नंदलाल महतो, मन्नु मिर्धा, दीनमोहन राउत, पुरुषोत्तम राउत, प्रकाश कुंवर, मुन्ना कुंवर, अमरजीत राउत, निर्मल महतो, रामचंद्र कुमार, रोहित महतो आदि ने बताया कि चुनाव से पहले यहां नेता व राजनीति कार्यकर्ता आते हैं और लंबी-लंबी घोषणा करके चले जाते हैं। चुनावी जीत के बाद उनका दर्शन दुर्लभ हो जाता है। आज तक कोई भी जनप्रतिनिधि ने गांव की सुध नहीं ली। 2008 में तत्कालीन विधायक मनोहर टेकरीवाल ने इस गांव में मिट्टी मोरम पथ की नींव रखी थी। 2009 में जब टेकरीवाल चुनाव हार गए तो उनके बाद तीन चुनाव हुए और तीन नए विधायक बने। लेकिन किसी ने इस गांव को पक्की सड़क से जोड़ने की पहल नहीं की। यहां की आबाद करीब एक हजार है। गांव में पेयजल की समस्या भी विकराल बनी हुई है। ग्रामीण खेती पर ही निर्भर हैं लेकिन यहां सिचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है। ग्रामीण अब अपनी समस्या बताने से भी मुकरते हैं क्योंकि कई बार ग्रामीणों ने यहां सड़क और पानी के लिए आंदोलन भी किया लेकिन किसी भी सरकार ने उनकी नहीं सुनी। बीते पांच साल से तो डबल इंजन की सरकार थी लेकिन स्थानीय प्रशासन की ओर से भी कोई पहल नहीं की गई। इस गांव में राजपूत और महतो वोटरों की बहुलता है। अन्य जातियां भी यहां है। यह पथरगामा और महागामा प्रखंड की सीमा में अवस्थित है।
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दाढ़ीघाट में बाबू टोला एवं महतो टोला की आबादी दो प्रखंड की सीमा में है। पंचायत स्तर पर इतना फंड नहीं मिलता है कि पंचायत की योजनाओं से गांव का विकास किया जाए। इसके लिए जिला योजना मद से सड़क निर्माण का प्रस्ताव दिया गया था। चुनाव की घोषणा के कारण अभी विकास कार्य बाधित है। कहीं कहीं जमीन संबंधी विवाद भी है। कुछ जमीन महागामा प्रखंड में तो कुछ पथरगामा प्रखंड में अवस्थित है। इसका निराकरण जिला स्तर से ही संभव है।
- राजेश सोरेन, मुखिया।