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बाल देखभाल संस्थानों का जेजे एक्ट में निबंधन जरूरी

गोड्डा : किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधान के तहत बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआइ) की जिला निरीक्ष्

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 07:25 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 07:25 PM (IST)
बाल देखभाल संस्थानों का जेजे एक्ट में निबंधन जरूरी

गोड्डा : किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधान के तहत बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआइ) की जिला निरीक्षण समिति द्वारा मिशनरीज ऑफ चैरिटी सौरीचकला, मेहरमा एवं स्वामी विवेकानंद अनाथ सुरक्षा आश्रम, गोड्डा का औचक निरीक्षण किया गया। जांच टीम में शामिल बाल कल्याण समिति अध्यक्ष कल्पना कुमारी, डीसीपीओ रितेश कुमार, डॉ जुनैद आलम, डा. प्रभात कुमार सिन्हा, सिविल सोसाइटी से प्रीतम गाडिया एवं संरक्षण पदाधिकारी विकास चंद्र आदि ने बताया कि इस दौरान समिति द्वारा सख्त निर्देश दिया गया कि किशोर न्याय अधिनियम की धारा-41 के तहत सभी बाल देखभाल संस्थानों का जेजे एक्ट 2015 के अंतर्गत निबंधन कराना आवश्यक है। ऐसे संस्था जो बिना निबंधन के कार्य कर रहे हैं वे शीघ्र ही जिला बाल संरक्षण इकाई, समाहरणालय, गोड्डा को सूचित करें एवं निबंधन हेतु विभाग को आवेदन दें। इस अधिनियम की धारा- 31 के तहत ऐसी संस्थाओं को बच्चों को संस्था में आवासन हेतु आगमन एवं प्रस्थान के समय सी.डब्ल्यू.सी के समक्ष प्रस्तुत कर निर्देश प्राप्त करना आवश्यक है। कोई भी संस्था मनमाने तरीके से कार्य नहीं कर सकती है। जेजे एक्ट, जेजे रूल्स एवं आइसीपीएस के गाइड लाइन के आलोक में ही संस्था का संचालन करें। संस्था में सभी प्रकार के दस्तावेज यथा-बच्चों की विवरणी, बच्चों की दैनिक उपस्थिति पंजी, कर्मियों की दैनिक उपस्थिति पंजी, बैठक पंजी, प्रबंधन समिति एवं बाल समिति की पंजी, पोषण आहार फाइल, व्यक्तिगत देखभाल योजना, स्टॉक एवं ऐसेट रजिस्टर, विजिटर पंजी, पत्र आगत एवं निर्गत पंजी, वित्तीय एवं लेखा पंजी एवं सभी प्रकार के आवश्यक दस्तावेजों का संधारण नियमित एवं अद्यतन रखें। बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा एवं कल्याण हेतु पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराएं। यदि संस्था सक्षम नहीं है तो वह बच्चों को संस्था में नहीं रख सकते हैं। यदि कोई संस्था धारा- 41 या 31 का उल्लंघन करती है तो उस पर इलीगल डिटेंशन ऑफ चाइल्ड के अंतर्गत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कोई भी संस्था चाहे वह सरकार से अनुदान ले रही हो अथवा ना उसे उक्त अधिनियम, प्रावधान एवं निर्देशों का पालन अनिवार्य रूप से करना होगा अन्यथा वे कानून के दायरे में आ जाएंगे।

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