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तालाब खुदाई में अनियमितता उजागर

संवाद सहयोगी मेहरमा प्रखंड के सुरनी पंचायत के बोरमा संथाली गांव में मनरेगा के तहत ताला

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 05:43 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 05:43 PM (IST)
तालाब खुदाई में अनियमितता उजागर
तालाब खुदाई में अनियमितता उजागर

संवाद सहयोगी, मेहरमा : प्रखंड के सुरनी पंचायत के बोरमा संथाली गांव में मनरेगा के तहत तालाब खुदाई में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती गई है। प्रावधान के अनुसार मनरेगा योजना में किसी भी प्रकार की मशीन का प्रयोग करने पर पाबंदी है। बावजूद तालाब की मिट्टी को ट्रैक्टर से बाहर भेजा जा रहा है। इतना ही नहीं योजना स्थल पर जानकारी से संबंधित ना तो सूचना पट लगाया गया है और ना ही शेड, पेयजल व प्राथमिक उपचार से संबंधित कीट ही उपलब्ध कराया गया है। सूचना पट्ट नहीं रहने के कारण योजना से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी ग्रामीणों को नहीं है। मनरेगा योजना की निगरानी की जिम्मेवारी जिसे मिली है वे बिना योजना स्थल का निरीक्षण किए कार्यालय में बैठे-बैठे ही मापी पुस्तिका भर देते हैं।

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क्या कहते मजदूर : तालाब की खुदाई कर रहे मजदूरों में सलीम मंसूर, रफीक मंसूर, सजान मंसूर, खुर्शीद मंसूर आदि ने बताया कि 100 फीट लंबा, 100 फीट चौड़ा तथा 10 फीट गहरा तालाब की खुदाई का ठेका ढाई लाख रुपये में दिया गया है। वे लोग कुल 23 मजदूर मिलकर बीते करीब 12 दिनों से कार्य कर रहे हैं।

मौके पर उपस्थित बीएफटी प्रदीप कुमार शाह ने बताया कि मनरेगा में ट्रैक्टर से मिट्टी बाहर भेजने का प्रावधान नहीं है। जैसे ही उन्हें इसकी जानकारी मिली तो योजना स्थल पर पहुंच कर उन्होंने ऐसा करने से मना किया।

क्या कहते जमीन मालिक : जमीन मालिक मरांग मुर्मू ने बताया कि उनकी जमीन में मनरेगा योजना के तहत तालाब की खुदाई की जा रही है। बताया कि तालाब के चारों ओर 15 फीट में तालाब की मिट्टी को रखना है। उनकी जमीन उपजाऊ है, मिट्टी रखने के लिए इससे ज्यादा और जमीन वे नहीं दे सकते हैं। पूर्व में बागवानी के लिए जमीन लेकर परती रख दिया गया था। मरांग मुर्मू ने बताया कि करीब एक वर्ष पूर्व प्रखंड कर्मी के द्वारा उनकी एक एकड़ जमीन में बागवानी लगाने के लिए 112 आम का पौधा दिया गया था। काफी मेहनत कर उनके द्वारा पौधा लगाया गया। करीब 15 दिनों बाद ही सभी पौधा सूखकर बर्बाद हो गया। बाद में उन्हें ना तो नया पौधा दिया गया और ना ही किसी प्रकार का कोई मुआवजा ही। इस कारण उनका खेत यूं ही परती रह गया। जिससे उन्हें हजारों रुपए की क्षति हुई। बताया कि यदि उसमें धान भी बोते तो करीब 25 क्विंटल धान होता। इसका भी नुकसान हुआ। इस पर मौके पर उपस्थित बीएफटी प्रदीप कुमार साह ने बताया कि पौधा खराब हो जाने की जानकारी वरीय पदाधिकारी को दी गई थी। बाद में जेएसएलपीएस से भी सर्वे करा कर रिपोर्ट वरीय पदाधिकारी को भेजा गया है। इस संबंध में मनरेगा बीपीओ साहेब लाल हांसदा से प्रतिक्रिया जानने के लिए फोन किया गया परंतु उन्होंने ना तो फोन रिसीव किया और ना ही बाद में ही कॉल बैक किया।


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