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बाल संरक्षण इकाई करेगी लावारिस नवजात की देखभाल : संशोधित

बाल संरक्षण इकाई करेगी लावारिस नवजात की देखभाल संशोधित

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 06:34 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 06:34 AM (IST)
बाल संरक्षण इकाई करेगी लावारिस नवजात की देखभाल : संशोधित
बाल संरक्षण इकाई करेगी लावारिस नवजात की देखभाल : संशोधित

महागामा : जिला बाल संरक्षण इकाई, गोड्डा ने लावारिस नवजात बच्चों को बचाने के लिए एक नई पहल की है। इसमें लोगों से बच्चों को लावारिस हालत में छोड़ने के बजाय, प्रशासन के पालना में रखने की अपील की गई है। योजना को अमली जामा पहनाने के लिए जिले के संरक्षण पदाधिकारी व गैर संरक्षण पदाधिकारी प्रयासरत हैं। इस प्रयास से लावारिस नवजात को सही परवरिश मिल सकेगी। कई लोग नवजात शिशु को लावारिस हालत में छोड़ देते हैं, इससे कई बार नवजात शिशु की मौत हो जाती है। स्वास्थ्य केंद्र पर लगाया जाएगा पालना : ऐसे अभिभावक जो बच्चों को अपने साथ नहीं रखना चाहते हैं, उनके लिए जिला प्रशासन की ओर से सार्वजनिक स्थलों पर पालना लगाया जाएगा। प्रथम चरण में कुल नौ पालना लगाया जाएगा। इन्हें जिले के सभी नौ प्रखंडों के अस्पताल/प्राथमिक/ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर रखा जाएगा। बच्चों को एडॉप्शन सेंटर में रखा जाएगा : जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी रितेश कुमार ने बताया कि ऐसे बच्चों के स्वास्थ्य की जांच कराकर जिला बाल संरक्षण इकाई एवं बाल कल्याण समिति के द्वारा बच्चे की देखभाल के लिए उन्हें एडॉप्शन सेंटर (विशेष दत्तकग्रहण संस्था) में रखे जाएंगे। सरकार का मानना है कि समाज में ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं जिनमें नवजात बच्चे को लोग जन्म देने के बाद मरने के लिए यहां-वहां फेंक देते हैं। इस पालना योजना से ऐसे बच्चों को नया जीवन प्रदान किया जाएगा।

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विधि सह परीवीक्षा पदाधिकारी राजेश कुमार गुप्ता ने बताया कि पालना में प्राप्त होने वाले बच्चे का सर्वप्रथम स्वास्थ्य जांच कराया जाएगा। कानूनी प्रक्रिया के तहत बच्चे को ती महीने तक प्रशासन अपने अधीन रखेगा। इस दौरान प्रशासन द्वारा बच्चे के माता-पिता/ प्रबल दावेदार की खोज की जाएगी। खोज प्रक्रिया के तहत अखबार के माध्यम से विज्ञापन निकालकर प्रशासन बच्चे के माता-पिता को खोजने का प्रयास करेगा। 60 दिन के भीतर बच्चे की पहचान नहीं होने की स्थिति में प्रशासन द्वारा बच्चे को गोद दान प्रक्रिया के अंतर्गत एडॉप्शन सेंटर को सौंप दिया जाएगा। इस योजना को नहीं मिलेगी सरकारी मदद : इस योजना के लिए सरकारी मद से कोई भी राशि खर्च नहीं की जाएगी। इसके संचालन व बच्चों के देखभाल की जिम्मेवारी बाल संरक्षण विभाग की होगी। इसके लिए सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीआर) मद से राशि जुटाई जाएगी।

पहले चरण में यहां लगेगा पालना : पहले चरण में अक्तूबर के पहले पखवाड़े में सदर अस्पताल, गोड्डा, सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र, बोआरीजोर, सामुदायिक स्वास्थ केंद्र सुंदरपहाड़ी, सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र, महागामा में पालना लगाने की योजना है।

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वर्जन

- कई लोग नवजात शिशु को लावारिस हालत में छोड़ देते हैं, इससे कई बार नवजात शिशु की मौत हो जाती है। गोड्डा जिला प्रशासन ने इसके लिए एक योजना बनाई है।'बच्चे ईश्वर की अनमोल देन है इसे फेंके नहीं हमें दें'स्लोगन के साथ गोड्डा जिले के सार्वजनिक स्थलों पर पालना रखने की शुरुआत की जा रही है।

विकास चंद्र, संरक्षण पदाधिकारी गोड्डा । - जिला प्रशासन के द्वारा प्रथम चरण में, सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों पर पालना लगाया जाएगा। जिला प्रशासन ने उन नवजात शिशुओं को बचाने का संकल्प लिया है, जिन्हें उनके माता-पिता नवजात के जन्म लेने के बाद जहां-तहां फेंककर चले जाते हैं। इस योजना को 'पालना योजना' का नाम दिया गया है।

ओम प्रकाश, संरक्षण पदाधिकारी, गोड्डा


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