बलियाकिता-रंगनियां में लहलहा रही किसानों की फसल
फोटो 1 - लॉकडाउन में खेती ही बन रहा जीवकोपार्जन का सहारा संवाद सहयोगी पोडै़याहाट पोडै़याहाट प्रखंड के बलियाकिता-रंगनियां गांव में लोग अब लॉकडाउन से पैदा हुई परिस्थिति से उबरने के लिए फिर से खुद को तैयार कर रहे हैं। हाथ और मशीनों के बीच जारी जंग का दौर अब थम गया है। रंगनियां और बलियाकिता गांव के निकट ही अडानी पावर प्लांट का निर्माण हो रहा है। लेकिन इस गांव के लोगों ने अपनी जमीन अडानी को नहीं दी। दूसरे गांवों के जिन लोगों ने जमीन दी उन्हें मोटी रकम हाथ लगी लेकिन लॉ
पोडै़याहाट : पोडै़याहाट प्रखंड के बलियाकिता-रंगनियां गांव में लोग अब लॉकडाउन से पैदा हुई परिस्थिति से उबरने के लिए फिर से खुद को तैयार कर रहे हैं। हाथ और मशीनों के बीच जारी जंग का दौर अब थम गया है। रंगनियां और बलियाकिता गांव के निकट ही अडानी पावर प्लांट का निर्माण हो रहा है। लेकिन इस गांव के लोगों ने अपनी जमीन अडानी को नहीं दी। दूसरे गांवों के जिन लोगों ने जमीन दी उन्हें मोटी रकम हाथ लगी लेकिन लॉकडाउन में ग्रामीणों अब समझ में आ रही है कि अपनी जमीन के साथ सौदा कर वे बहुत दिनों तक सुखी नहीं रह सकते। बलियाकिता-रंगनियां गांव के किसान अभी मक्का, शिमला मिर्च, ओल, टमाटर आदि की खेती कर अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। गांव के देव नारायण सिंह, मनोज सिंह, अरविद सिंह, कपिलदेव सिंह, संजय सिंह भी अपने खेतों में फसल लगाकर विपरित परिस्थिति से मुकाबला कर रहे हैं। वहीं निकट के गांव गायघाट आदि के किसान अपनी जमीन बेच कर पछता रहे हैं। महेंद्र यादव, राजेंद्र यादव, निरंजन यादव, अनिरुद्ध वैद्य, विजय यादव आदि को अब अब खेतों पर भरोसा है।
नरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी किरण देवी की मेहनत रंग ला रही है। उनकी जमीन पर मकई की फसल लहलहा रही है। किरण देवी तो प्रगतिशील किसानों में शामिल हैं। राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में किरण देवी को प्रशिक्षण के लिए इजरायल भी भेजा था। इजरायल से प्रशिक्षण लेकर लौटने के बाद किरण देवी ने अपने खेतों में टपक विधि से सिचाई की व्यवस्था की। उन्होंने बताया कि 14 कट्ठे में कम से कम पचास हजार रुपये की मकई की फसल होगी। जैविक खादों का प्रयोग यह दंपती यहां टमाटर की खेती भी व्यापक पैमाने पर कर रहा है।
ग्रामीण देवनारायण सिंह व मनोज सिंह ने बताया कि बलियाकिता-रंगनियांमें 150 घर से मात्र 20 युवक ही बाहर काम करने गए हुए हैं। उसके पीछे भी कारण यह है कि उन लोगों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है। अगर सरकार हर खेत में पानी दे दे तो यहां से एक भी मजदूरों का पलायन नहीं होगा और ना ही लोग कहीं बाहर जाकर दूसरे की नौकरी करेंगे।