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गोड्डा सीट किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगा झाविमो

गोड्डा : झारखंड विकास मोर्चा किसी भी कीमत पर गोड्डा लोकसभा सीट छोड़ने को तैयार नहीं

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 06:32 PM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 06:32 PM (IST)
गोड्डा सीट किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगा झाविमो

गोड्डा : झारखंड विकास मोर्चा किसी भी कीमत पर गोड्डा लोकसभा सीट छोड़ने को तैयार नहीं है। झाविमो महासचिव सह पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव स्वयं इस सीट से विगत एक साल से घोषित तौर पर चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। गुरुवार को उन्होंने बताया कि उनका मुख्य मकसद भाजपा को केंद्र व राज्य की सत्ता से बेदखल करना है। गोड्डा सीट कांग्रेस व चतरा सीट राजद को देने का मतलब भाजपा को वाकओवर देना है। कहा कि इन तीनों जगह पर झाविमो काफी मजबूत स्थिति में है। सीट निकलनी तय है। इसलिए झाविमो को उक्त तीनों सीट मिलनी ही चाहिए। कहा कि ऐसा नहीं हुआ तो झाविमो सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगा। उधर, गोड्डा सीट कांग्रेस के खाते में जाने से भाजपाइयों में खुशी की लहर है। दरअसल, गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में अल्पसंख्यकों की बड़ी आबादी है। तीन लाख से अधिक मतदाता हैं। इस वजह से कांग्रेस यहां से किसी अल्पसंख्यक उम्मीदवार को ही टिकट देती है। 1977 से पूर्व तक यह सीट कांग्रेस के ही कब्जे में रही है। 1977 में पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर जगदंबी प्रसाद यादव यहां से सांसद बने। 1980 में शमशुद्दीन अंसारी कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए। 1985 में उन्होंने दोबारा जीत दर्ज की। उसी साल उनका निधन हो गया। हुए उपचुनाव में सलाउद्दीन अंसारी सांसद बने। 1989 में भाजपा ने यह सीट कांग्रेस के सलाउद्दीन अंसारी से छीन ली। 1991 में जेएमएम से सूरज मंडल सांसद बने। 1996 में भाजपा के जगदंबी यादव ने पुन: यह सीट जेएमएम से छीन ली। 1998 में वे दुबारा तथा 1999 में तीसरी बार यहां से सांसद चुने गए। 2002 में उनका निधन हो गया। इस वजह से यहां उपचुनाव हुआ। फुरकान अंसारी कांग्रेस तो प्रदीप यादव भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े। प्रदीप यादव की जीत हुई। 2004 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस के फुरकान अंसारी ने यहां से जीत हासिल की। उसने भाजपा के टिकट पर खड़े प्रदीप यादव को हरा दिया। 2009 व 2014 में निशिकांत दुबे ने कांग्रेस के फुरकान अंसारी को हराया। इन चुनाव में प्रदीप यादव झाविमो से लड़े और तीसरे स्थान पर रहे। इससे पूर्व 2009 के चुनाव में फुरकान अंसारी काफी कम मतों से चुनाव हारे थे। दरअसल, 2014 के चुनाव में मोदी लहर का फायदा भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे को मिला और वे काफी बड़े अंतर से चुनाव जीत गए। दूसरी ओर यहां अल्पसंख्यकों के बाद ओबीसी आबादी है। सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण का लाभ भी भाजपा को मिल जाता है। दो बार चुनाव हारने के बाद भी प्रदीप यादव यहां लगातार सक्रिय रहे। पोड़ैयाहाट व जरमुंडी विधानसभा में उनकी अच्छी पकड़ है। निशिकांत दुबे की देवघर व गोड्डा विधानसभा क्षेत्र तो फुरकान अंसारी की मधुपुर व महागामा विधानसभा क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। इन तीनों प्रत्याशियों में प्रदीप यादव सबसे ज्यादा सक्रिय है। सक्रियता के मामले में दूसरे नंबर पर निशिकांत दुबे तो तीसरे नंबर पर फुरकान अंसारी हैं।

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2014 को किसे कितना मत

1. निशिकांत दुबे भाजपा 380500

2. फुरकान अंसारी कांग्रेस 319818

3. प्रदीप यादव झाविमो 193506

4. सुबोध प्रसाद आजसू 10998

5. मनराज बसपा 20871

6. दामोदर ¨सह तृणमूल 20846

7. राजवद्धन आजाद जदयू 14043

8. सुनील गुप्ता निर्दल 23349

9. नोटा 12410


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