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कारसेवकों का संघर्ष सफल हुआ, घर-घर मनी दिवाली

गोड्डा टीवी स्क्रीन पर जब अयोध्या में भूमि पूजन शुरू हुआ और उसका लाइव प्रसारण शुरू हुआ त

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 07:36 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 07:36 PM (IST)
कारसेवकों का संघर्ष सफल हुआ, घर-घर मनी दिवाली

गोड्डा : टीवी स्क्रीन पर जब अयोध्या में भूमि पूजन शुरू हुआ और उसका लाइव प्रसारण शुरू हुआ तो लोग एकटक देखते रहे। 90 के दशक के यहां सैकड़ों कारसेवकों ने इस पल को अपनी आंखों में कैद किया।

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खुशी से उनकी आंखें छलछला उठीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी तो लोग बरबस खुशी झूम उठे। चौक-चौराहे पर निकल कर मिठाईयां बांटी और घरों में भगवा ध्वज लहरा कर उत्सव मनाया। जिले के जिन कारसेवकों ने राममंदिर आंदोलन में योगदान दिया और लाठियां खाईं, आज उनको अपने आनंद की अनुभूति का बखान करने को शब्द नहीं मिल रहे थे। बार-बार एक ही बात दोहराते हैं, हमारा संघर्ष सफल हो गया। सौभाग्यशाली हैं कि अपनी आंखों से मंदिर का शिलान्यास देख रहे हैं।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की लड़ाई बहुत कठिन रही। इस आंदोलन रूपी संघर्ष में देशभर से रामभक्तों ने भागीदारी की थी। इस योगदान में गोड्डा जिला भी पीछे नहीं था। जिले से सैकड़ों लोग इस आंदोलन से जुड़े थे, जबकि 100 से अधिक कारसेवक तो अयोध्या आए थे। जिले में राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई करने वाले

स्वर्गीय वशिष्ठ नारायण सिंह अब नहीं रहे। तत्कालीन जिला अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह की अगुवाई में विश्व हिदू परिषद की मोटरसाइकिल जुलूस में मुरली पांडे, मुरारी ठाकुर, सुंदर पहाड़ी के धमनी के बुद्धिनाथ आर्य जो तत्कालीन विश्व हिदू परिषद के जिला महामंत्री भी थे। हुतात्माओं को याद कर आज की नई पीढ़ी भी गौरवान्वित हो रही है। गौरी शंकर चौबे, विनोद सिंह जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक भी आदि दो नवंबर 1990 के अयोध्या गोलीकांड के प्रत्यक्षदर्शी रहे थे।

शिलान्यास होते देख कारसेवकों को अपने पुराने संघर्ष के दिन याद आ रहे हैं। 1990 में श्री राम पादुका को जग जागरण के तहत गांव-गांव घुमाना था, जिसका पथरगामा प्रखंड के संयोजक थे कारसेवक राजेश टेकरीवाल। उस वक्त पथरगामा प्रखंड में कुल 34 पंचायत थी, सभी गांवों में लगभग 20 दिनों तक राम पादुका रथ घुमाया गया। टेकरीवाल प्रत्येक दिन किसी न किसी गांव में रथ के साथ उपस्थित रहते थे। 1989 में अडवाणी जी की रथ यात्रा सोमनाथ से अयोध्या के लिए चली तो समस्तीपुर में अडवाणी जी को गिरफ्तार कर लिया गया था, उसके विरोध में गोड्डा से सैकड़ों की संख्या में लोगों ने गिरफ्तारी दी थी। प्रमुख कारसेवकों में वर्तमान विधायक प्रदीप यादव जो तब विद्यार्थी परिषद में हुआ थे, इसके अलावा भाजपा नेता दिलीप सिंह, महागामा के मुरारी चौबे, कॉलेज इकाई के अध्यक्ष राजेश झा, विहिप के निरंजन सिंह,आदि ने गिरफ्तारी दी थी।

राजेश टेकरीवाल बताते हैं कि 1990 में जब कार्य सेवकों पर अयोध्या में गोली चली तो दर्जनों कार्य सेवक मारे गए थे, उसके विरोध में धिक्कार दिवस मनाया गया। गोड्डा में भी बड़ी संख्या में गिरफ्तारी दी गई थी। 4 दिसंबर 1992 को टेकरीवाल अपनी बहन के यहां दुमका गए वहीं से वे अयोध्या के लिए रवाना हो गए। जसीडीह स्टेशन में अयोध्या जाने वाले कार्य सेवकों से मुलाकात हुई उन्हीं लोगों के साथ यहां से जत्था रवाना हुआ था। अयोध्या पहुंचने पर जन्मभूमि के समीप पुलिस द्वारा सभी को रोक लिया गया फिर वहीं से वापस लौटा दिया गया। लाखों की भीड़ और सभी के मुंह से सिर्फ और सिर्फ जय श्रीराम, जय श्रीराम के नारे से अयोध्या नगरी गूंज रही थी।


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