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प्रताड़ित विवाहित पुरुषों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही है ये संस्था

एक ऐसी संस्था जो प्रताड़ित विवाहित पुरुषों के अधिकारों के लिए पूरे देश में लड़ाई लड़ रही है। इसने इसके लिए देशभर में 84 काउंसलरों की नियुक्ति की है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 12:44 PM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 05:00 PM (IST)
प्रताड़ित विवाहित पुरुषों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही है ये संस्था
प्रताड़ित विवाहित पुरुषों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही है ये संस्था

गोड्डा, डॉ. प्रणेश। प्रताड़ित महिलाएं ही नहीं पुरुष भी होते हैं। इस सोच के साथ 'सेव इंडियन फैमिली' संस्था पुरुषों के अधिकारों के लिए पूरे देश में लड़ाई लड़ रही है। संस्था ने इसके लिए देशभर में 84 काउंसलरों की नियुक्ति की है। जो महिलाओं द्वारा फर्जी मामलों में फंसाए गए पुरुषों को उचित कानूनी सलाह व संघर्ष करने का हौसला देते हैं। इन काउंसलरों में एक झारखंड के गोड्डा के प्रदीप कुमार विद्यार्थी भी हैं। वह तीन साल से इस संस्था से जुड़े हैं।

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प्रदीप कुमार विद्यार्थी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया लाइफ में बीमा सलाहकार थे। 2012 में उनकी शादी हुई। प्रदीप के परिवार में सास-ससुर का हस्तक्षेप बढ़ने लगा। अप्रैल 2016 में प्रदीप के साथ-साथ उनकी मां पर भी पत्नी ने दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज करा दिया। इससे विचलित होकर इन्होंने आत्महत्या का मन बना लिया था। इसी बीच, इंटरनेट पर 'सेव इंडियन फैमिली' संस्था का नंबर मिला। फोन पर लखनऊ के वाइपी सिंह व डॉ. इंदु सुभाष से बात हुई। दोनों ने संघर्ष में साथ देने का वायदा किया। अगस्त 2016 में उन्हें हैदराबाद में संस्था की नेशनल मीट में बुलाया गया। यहां महिलाओं से प्रताड़ित सैकड़ों लोगों से इनकी मुलाकात हुई। इसके बाद वह भी महिलाओं से प्रताड़ित पुरुषों की लड़ाई में सक्रिय रूप से शामिल हो गए।

गोड्डा में शुरू हुई साप्ताहिक बैठक

हैदराबाद से लौट कर गोड्डा में महिलाओं से प्रताड़ित पुरुषों की खोज शुरू की। धीरे-धीरे संख्या बढ़ने लगी। लोग अपने साथ हो रहे कथित शोषण पर चर्चा करने लगे। यह बात प्रशासनिक व न्यायिक अधिकारियों तक भी पहुंची। दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज होने पर तुरंत आरोपितों को गिरफ्तार करने पर संस्था ने प्रतिकार शुरू किया। परिणामस्वरूप कई लोगों को थाने से ही पुलिस को छोड़ना पड़ा। साथ ही, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार से मुलाकात कर कानून के दुरुपयोग को रोकने का अनुरोध किया। इसका असर यह हुआ कि कई वारंटियों की गिरफ्तारी रुक गई। इसी बीच, 27 जुलाई 2017 को राजेश शर्मा बनाम स्टेट ऑफ यूपी के मामले में सुप्रीम कोर्ट का एक महत्वपूर्ण फैसला आया, जिसमें धारा 498 (दहेज प्रताड़ना) में गिरफ्तारी से पूर्व कुछ महत्वपूर्ण मानदंडों का पालन करने को कहा गया। इससे संस्था के आंदोलन को बल मिला।

संस्था ने नियुक्त किया काउंसलर

प्रदीप कुमार विद्यार्थी की सक्रियता को देखते हुए संस्था ने पिछले वर्ष उन्हें अपना काउंसलर नियुक्त किया। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के आठ काउंसलरों में एक प्रदीप भी हैं। हर रोज 20-25 कॉल महिलाओं से प्रताडि़त पुरुषों के आते हैं। पिछले साल अगस्त में दो दिवसीय दौरे पर गोड्डा पहुंचे मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिलकर संस्था के सदस्यों ने पुरुष आयोग की मांग की। मुख्यमंत्री ने इस पर विचार करने का आश्वासन भी दिया।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दहेज के 98 फीसद व दुष्कर्म के 73 फीसद मामले फर्जी निकल रहे हैं। फर्जी मुकदमों के कारण प्रतिदिन 175 विवाहित पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं। महिलाओं को पहली नजर में ही पीड़ित मान लिया जाता है। सास व ननद को जेल भेज दिया जाता है। इसे रोकना जरूरी है। संस्था की मुहिम अब रंग ला रही है।

-प्रदीप कुमार विद्यार्थी, काउंसलर, सेव इंडियन फैमिली।


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