CISF: यहां कोयले की सुरक्षा में आठ नहीं बारह घंटे ड्यूटी बजा रहे जवान, जानिए वजह
खदान की सुरक्षा में स्वीकृत 165 जवानों की जगह महज 100 जवानों से ही पूरी खदान की सुरक्षा कराई जा रही है।
गोड्डा, जेएनएन। ECL की राजमहल परियोजना की सुरक्षा में लगे केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों को 8 के बजाय अब 12 घंटे की ड्यूटी बजानी पड़ रही है। कोयला खान, कोयला और खनन सामग्री की रक्षा में दो-दो शिफ्ट में जवानों की तैनाती की जा रही है। 12-12 घंटे का शिफ्ट लग रहा है। इससे जवानों की परेशानी बढ़ गई है।
मामले की पड़ताल करने पर पता चला कि खदान की सुरक्षा में स्वीकृत 165 जवानों की जगह महज 100 जवानों से ही पूरी खदान की सुरक्षा कराई जा रही है। दरअसल सीआइएसएफ के शेष जवान असम, जम्मू कश्मीर, दिल्ली मेट्रो एवं अन्य क्षेत्रों में प्रतिनियुक्ति पर लगाए गए हैं। इस संबंध में सीआइएसएफ के उप समाहर्ता का कहना है कि बल की कमी के कारण ही ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जवानों की हर आवश्यकता को देखते हुए ही उनसे कार्य लिया जाता है।
बता दें कि खान विस्तार के साथ ही सुरक्षा में तैनात जवानों की आवश्यकता भी बढ़ी है तथा वर्तमान सर्वे के अनुसार कैंप में तकरीबन 350 जवानों की स्वीकृति आवश्यक है। इस संबंध में जब कुछ कार्य में लगे सीआइएसएफ के जवानों से पूछा गया तो उन्होंने 12 घंटे की ड्यूटी को यहां सामान्य ही बताया। कहा-हम क्या कर सकते हैं ? काम तो करना ही पड़ेगा। अनुशासन के दायरे में बंधे यह जवान कुछ कहने से कतराते दिखे परंतु यह सच्चाई है की 12 घंटे की ड्यूटी के बाद इन्हें अपने व अपने परिवार के लिए समय ही नहीं बच पाता।