कर्ज से मुक्ति के लिए दिव्यांग को आर्थिक मदद की आस
मेहरमा शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद पिरोजपुर के अमजोरा गांव के मुकेश ने क
मेहरमा : शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद पिरोजपुर के अमजोरा गांव के मुकेश ने कभी हार नही मानी। पिता की प्रेरणा व साहस से वे दिव्यांगता को पीछे ढकेलते हुए एक सफल व्यवसायी बन बैठे। अमजोरा गांव के शंकर प्रसाद साह के पुत्र मुकेश कुमार को दिव्यांगता के कारण बचपन में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ा। बताया कि बचपन में पढ़ाई लिखाई में रुचि थी। परंतु कुछ दिन पढ़ने के गरीबी के कारण पढ़ाई छूट गई। समय के साथ पिता तबीयत भी खराब रहने लगी। दिव्यांगता को ना कोसते हुए स्वयं आत्मनिर्भर होकर जीने की तमन्ना के साथ आगे बढ़ने की साहस जुटाई। बताया कि उन्हें दिव्यांग पेंशन मिल रहा है। महाजन से कर्ज लेकर तीन पहिया वाली स्कूटर खरीदी है। मौसम के हिसाब से चाहे गर्मी में महंगा सब्जी हो या फिर पर्व त्यौहार में लगने वाले सामग्री की बिक्री कर अच्छी कमाई कर लेते हैं। क्षेत्र के विभिन्न गांव में जाकर उपभोक्ताओं को सामानों की बिक्री करते हैं। मुनाफे के पैसे से बचाकर स्कूटर के लिए लिए गए कर्ज के पैसे को समय-समय पर महाजन को अदा करते है। सरकार की ओर से मदद मिल जाती तो कर्ज चुकता कर व्यवसाय में निश्चित रूप से परिश्रम करने में पीछे नहीं हटता। इस प्रकार के हिम्मतवाज नौजवान को अगर सरकार द्वारा आर्थिक सहायता मिल जाती है, तो निश्चित रूप से गरीबी इसे देखकर कोसों दूर भागते रहेंगे, और यह खुशहाली के साथ जी सकेंगे और उनका आगे का भी सपना पूरा हो सकेगा।