दाना आने से पहले ही किसान काटने लगे धान
गोड्डा : जिले के महागामा प्रखंड के दर्जनों गांवों के किसानों ने धान के पौधों में दाना आन
गोड्डा : जिले के महागामा प्रखंड के दर्जनों गांवों के किसानों ने धान के पौधों में दाना आने पहले ही उसे काटकर पशुओं को खिलाना शुरू कर दिया है। महागामा प्रखंड के सीनपुर, सामुकिता, डोमाचक, भेलायडीह, सरौतिया, बनरचुआ, दिग्घी, अमडीहा आदि गांवों में अकाल सा दृश्य किसानों के सामने है। प्रारंभ में मानसून ने किसानों को रुलाया। किसी तरह तालाब, कुंओं से पानी निकालकर किसानों ने धान की रोपनी की। किसानों को हथिया नक्षत्र से उम्मीद थी पर उसके दगा देने के बाद किसान टूट गए। उन्होंने फसल की आस छोड़ दी। अक्तूबर में बंगाल की खाड़ी से उठे तूफान से थोड़ी बारिश जरूर हुई पर वह धान की फसल के लिए काफी नहीं थी। सिनपुर गांव के किसान शहादत मुखिया, रामविलास दास, रूपेश दास, मो. मंजूर अहमद, हाजी मनीरुद्धीन, मो. फिरोज, मौलाना सदाकत साहब, नैयर इकबाल, मनोज ठाकुर, अब्दुल बहाव, मो. मकबूल, मो. करीम, सुभाष दास, संतलाल दास, सामुकिता गांव के ओम कुमार झा, सुनील झा, जयकांत मिश्रा, योगेन्द्र मिश्रा, सरौतिया गांव के हाजी मो. इलियास, मो. रूस्तम, मो. इशाक, डोमाचक गांव के मो. अख्तर, भेलायडीह गांव के किसान हाजी हामिद, बनरचुआ गांव के किसान अनवर अली, मो. शहीर, मकबूल मनसुरी, सत्येन्द्र मिश्रा, बालकृष्ण मिश्रा, सरभंगा के मुखिया मुकेश कुमार आदि का कहना है कि ¨जदगी में पहली वार ऐसा नजारा देखने को मिल रहा है कि पकने से पहले ही लोग फसल काट रहे हैं। ऐसा कई वार हुआ जब खेत में धान रोपा ही नहीं गया, पर रोप कर धान मरते पहली बार देख रहा हूं। घर की पूंजी भी गायब : किसान मंजूर अहमद, रामविलास दास आदि का कहना है कि घर की पूंजी लगाकर खेतों में धान की फसल लगायी पर फसल बर्बाद होने से घर की पूंजी भी गायब हो गई। सरकार मदद के नाम पर सिर्फ घोषणा करती है। किसानों के घर तक कभी सुखाड़ या अकाल का लाभ नहीं पहुंच पाता है। पदाधिकारी भले ही इसका लाभ उठाकर मालोमाल हो जाते हैं। किसानों ने हरे धान को इसलिए काटा कि अक्तूबर माह में चक्रवाती बारिश से खेत कुछ गीला जरूर हो गया था। अब किसान इसे काटकर उसमें गेहूं, चना, खेसारी की खेती करेंगे। ¨सचाई की कोई सुविधा नहीं : ¨सचाई योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी महागामा के इन इलाकों में सिचाई की सुविधा नहीं के बराबर है। किसान मानसून के साथ जुआ खेलते हैं। कभी फसल हो गयी तब किसान जीत गए। मानसून दगा दे गया तो किसानों की कमर टूट जाती है। कर्ज के भार से वह इतना दब जाता है कि खेत की जुताई करने वाले ट्रैक्टर का रुपया देने में भी पसीना छूटने लगता है। सरौतिया गांव के किसान हाजी मो. इलियास का कहना है कि पहले खेती के समय में ललमटिया खदान का पानी भी हम किसानों के खेतों में आ जाता था पर बारिश नहीं होने पर वह पानी भी खान से खेत तक नहीं पहुंचा। मवेशियों को होगी चारे की किल्लत : सिनपुर गांव के किसान मनोज ठाकुर, डॉ नैयर इकबाल का कहना है कि धान की फसल नहीं होने तथा बेसमय ही धान की फसल को काटने के कारण पुआल का घोर अभाव हो जाएगा। कुछ दिन के बाद मवेशी के सामने चारे का घोर अभाव हो जाएगा। किसान आधा पेट खाकर किसी तरह परिवार पाल लेगा पर मवेशी को चारे के बिना कैसे रख पायेगा, इसकी ¨चता अभी से ही किसानों को सताने लगी है। क्या कहते हैं स्थानीय विधायक : स्थानीय विधायक अशोक भगत कहते हैं कि सचमुच सिनपुर, सरभंगा, दिग्घी के अलावे पूरे महागामा प्रखंड के किसानों की धान की फसल बर्बाद हो गई है। तालाब भी जबाव दे चुके हैं। किसानों को शीघ्र राहत मिले इसके लिए सरकार के पास इनकी बात रखी जा रही है।