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अब शहर क्यों जाना, गांव में खुल गए कॉल सेंटर; ग्रामीण इलाकों में महिलाएं भी हो रही हैं सबल

बीपीओ संचालक ने बताया कि यहां काम के लिए कोई न्यूनतम शैक्षिक योग्यता तो निर्धारित नहीं है, मगर इंटर पास हो तो बेहतर है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 15 Apr 2018 10:12 AM (IST)Updated: Mon, 16 Apr 2018 03:37 PM (IST)
अब शहर क्यों जाना, गांव में खुल गए कॉल सेंटर; ग्रामीण इलाकों में महिलाएं भी हो रही हैं सबल
अब शहर क्यों जाना, गांव में खुल गए कॉल सेंटर; ग्रामीण इलाकों में महिलाएं भी हो रही हैं सबल

डॉ. प्रणेश, गोड्डा। झारखंड के गोड्डा में युवतियों और महिलाओं के लिए एक अवसर बनकर आया है, भारत बीपीओ। केंद्र सरकार की इस योजना से जुड़कर मेहरमा प्रखंड की कई लड़कियों ने अपना आसमान बनाया है, जिसमें उनकी उड़ान उन्हें जिंदगी के सपने संजोने का भरोसा देगी।

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मेहरमा की मनीषा बेहद खुश है। उसे अपने घर के पास ही भारत बीपीओ प्रमोशन योजना के तहत खुले रूरल बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) सेंटर में काम मिल गया है। सुबह दस बजे वह जाती है और शाम को लौट आती है। बाकी समय अपनी पढ़ाई करती है। मनीषा के पिता का निधन 12 वर्ष पहले हो गया था। तीन बहनों व दो भाइयों में मनीषा सबसे बड़ी है। मां दूसरों के घर काम कर सभी का भरण-पोषण कर रही थी, पर अब मनीषा ही परिवार की गाड़ी को रफ्तार दे रही है।

दरअसल, हाल में गोड्डा के छोटे से इलाके मेहरमा में भारत बीपीओ प्रमोशन योजना के तहत रूरल बीपीओ सेंटर खुला है। मनीषा ने उसमें नौकरी के लिए आवेदन किया और उसका चयन हो गया। बस यहां से उसके परिवार में खुशियों के फूल खिल गए। मनीषा ही नहीं प्रियंका, रूमा, ब्यूटी समेत दस लड़कियां यहां काम कर रही हैं। भविष्य में सीटों की संख्या बढ़ने पर अन्य महिलाओं को रोजगार मिलेगा।

ग्रामीण क्षेत्रों पर केंद्र का ध्यान, महिलाएं हो रही हैं सबल

केंद्र सरकार ग्रामीण विकास पर विशेष ध्यान दे रही है। सरकार का मकसद गांव की महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराना है। इसी क्रम में सूबे के जिलों में ग्रामीण बीपीओ खुल रहा है। राज्य में अब तक करीब डेढ़ दर्जन ग्रामीण बीपीओ खुल चुके हैं। ग्रामीण बीपीओ में दस-दस सीटें हैं, जो महिलाओं व युवतियों के लिए आरक्षित हैं। फरवरी के पहले सप्ताह में सांसद निशिकांत दुबे ने, इसका उद्घाटन किया था।

रांची समेत कई जिलों में खुले बीपीओ

रांची में सिल्ली और ओरमांझी, जामताड़ा में नाला, पाकुड़, साहिबगंज में तालझारी, गिरिडीह में जमुआ, दुमका में गिधनी पहाड़ी, रामगढ़ में चीतपुर, पश्चिमी सिंहभूम में चक्रधरपुर, देवघर में पालाजोरी, पलामू में मेदनीनगर, सिमडेगा में बीरू, लातेहार में बरवाडीह, सरायकेला में गम्हरिया, गुमला तथा गोड्डा में मेहरमा में ग्रामीण बीपीओ खले हैं।

बीपीओ में हो रहा यूपी का डाटा सत्यापन

मेहरमा ग्रामीण बीपीओ संचालक जयप्रकाश ठाकुर ने बताया कि यहां उत्तर प्रदेश सरकार की एक योजना के डाटा सत्यापन का काम हो रहा है। हर दिन पांच सौ लोगों का डाटा ऑनलाइन आता है। वह यहां काम कर रही सभी दस युवतियों के कंप्यूटर पर यह डाटा दे देते हैं। युवतियां डाटा में मौजूद संबंधित व्यक्ति के मोबाइल नंबर पर कॉल कर जरूरी जानकारियां लेती हैं फिर इसे कंप्यूटर में दर्ज करती हैं।

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मेहरमा प्रखंड के घोरीकित्ता गांव की ब्यूटी ग्रेजुएशन कर चुकी है। अब वह मध्य प्रदेश के एक विश्र्वविद्यालय से डीएलइडी कोर्स कर रही है। वह भी विगत एक माह से ग्रामीण बीपीओ में काम कर रही है। कहती है कि पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी। पिछले साल ग्रेजुएशन पास किया तब रांची या पटना जाकर नौकरी करने की अनुमति माता-पिता ने नहीं दी। अब मेहरमा में ही ग्रामीण बीपीओ खुलने की जानकारी मिली तो एक बार फिर अपने माता-पिता से बात की। वे तैयार हो गए। तो यहां काम शुरू कर दिया, जबकि रूमा प्रखंड के ही बुधासन गांव से आती है। उसे भी यहां आने-जाने में कोई परेशानी नहीं है।

बोलने का सलीका और इंटरपास होना जरूरी

बीपीओ संचालक जयप्रकाश ठाकुर ने बताया कि यहां काम के लिए कोई न्यूनतम शैक्षिक योग्यता तो निर्धारित नहीं है, मगर इंटर पास हो तो बेहतर है। बस जरूरी यह है कि काम कर रही महिलाओं की आवाज स्पष्ट हो। वह लोगों से सलीके से बात कर सकें।

केंद्र सरकार देश के सभी जिलों में ग्रामीण बीपीओ खोल रही है। फरवरी में मेहरमा में इसका उद्घाटन किया था। यहां सीटों की संख्या बढ़ाने का प्रयास भी किया जाएगा।

निशिकांत दुबे, सांसद, गोड्डा।


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