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    1942 की कोख से हुआ झारखंड की इस सीट का जन्‍म, आज माना जाता है BJP का गढ़; कभी कांग्रेस का था दबदबा

    Updated: Mon, 18 Mar 2024 01:32 PM (IST)

    गोड्डा संसदीय सीट का इतिहास काफी पुराना है। इसका जन्‍म भारत छोड़ो आंदोलन (1942) की कोख से हुआ। के मेहरमा प्रखंड के कसबा गांव के निवासी भागवत झा आजाद 1952 में हुए देश के पहले आम चुनाव में पूर्णिया-संताल परगना सामान्य सीट से अपने प्रतिद्वंद्वी सुधीर हांसदा को 44 हजार से अधिक मतों से पराजित कर गोड्डा के पहले सांसद बने थे।

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    भागवत झा आजाद और प्रभुदयाल हिम्मतसिंघका की फाइल फोटो।

    विधु विनोद, गोड्डा। भारत छोड़ो आंदोलन (1942) की कोख से जन्मे गोड्डा के मेहरमा प्रखंड के कसबा गांव के निवासी भागवत झा आजाद 1952 में हुए देश के पहले आम चुनाव में पूर्णिया-संताल परगना सामान्य सीट से अपने प्रतिद्वंद्वी सुधीर हांसदा को 44 हजार से अधिक मतों से पराजित कर गोड्डा के पहले सांसद बने थे। बाद में 1957 में गोड्डा को दुमका संसदीय सामान्य सीट में शामिल किया गया, जिसमें जेएचपी के सुरेश चंद्र चौधरी के हाथों भागवत झा आजाद को करीब 52 हजार मतों से पराजित होना पड़ा था।

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    1962 में अस्तित्व में आई गोड्डा लोकसभा सीट

    गोड्डा लोकसभा सीट 1962 में अस्तित्व में आई। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के प्रभुदयाल हिम्मतसिंहका ने पहली जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के प्रभुदयाल हिम्मतसिंहका लगातार दो बार सांसद बने। 1971 में इंदिरा गांधी की लहर में यहां कांग्रेस के जगदीश मंडल को जीत मिली।

    गोड्डा लोकसभा सीट अभी भले ही आज भाजपा का गढ़ मानी जाती है, लेकिन कभी इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा था। भाजपा और कांग्रेस ने अब तक गोड्डा से क्रमश: आठ-आठ बार जीत दर्ज की है। यहां क्षेत्रीय पार्टियों का दबदबा काफी कम रहा है। मुकाबला हमेशा से भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहा है।

    गोड्डा में दिखा जेपी आंदोलन का असर

    1977 के चुनाव में यहां जेपी आंदोलन का असर दिखा था तब यहां भारतीय लोक दल पार्टी से जगदंबी प्रसाद यादव सांसद बने थे। वर्ष 1980 में गोड्डा सीट पर कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की और मौलाना समीउद्दीन यहां से जीते, जबकि 1984 में कांग्रेस से मौलाना सलाउद्दीन सांसद बने।

    गोड्डा सीट पर 1989 में जनार्दन यादव ने भाजपा का खाता खोला। दूसरे स्थान पर झामुमो के सूरज मंडल रहे थे। वहीं 1991 में झारखंड मुक्ति मोर्चा से सूरज मंडल ने जीत हासिल की थी।

    कालांतर में साल 1996, 1998 और 1999 के चुनाव में भाजपा से जगदंबी प्रसाद यादव लगातार तीन बार चुनाव जीतने में सफल रहे। वर्ष 2001 में उसके असामयिक निधन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के प्रदीप यादव चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने।

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