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सांभा मंसूरी धान के बीजोपचार में जुटा कृषि विज्ञान केंद्र

फोटो - 32 जासं गोड्डा जिले में कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से धान की नवीनतम वैरायटी उन्नत सांभा मंसूरी के व्यवसायिक प्रसंस्करण की दिशा में प्रयास तेज किया जा रहा है। उक्त धान से निर्मित चावल मधुमेह रोगियों के लिए काफी उपयोगी माना गया है। इसमें शुगर का लेवल बहुत कम होता है। शुक्रवार को हरगौरी कृषक उत्पादक संगठन के सुरेश चंद्र पूर्वे की ओर से पोड़ैयाहाट प्रखंड के पूर्वेडीह ग्राम में उत्पादित धान बीज की नवीनतम वैरायटी उन्नत सांभा मंसूरी के व्यवसायिक

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 08:11 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 06:24 AM (IST)
सांभा मंसूरी धान के बीजोपचार में जुटा कृषि विज्ञान केंद्र
सांभा मंसूरी धान के बीजोपचार में जुटा कृषि विज्ञान केंद्र

गोड्डा : जिले में कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से धान की नवीनतम वैरायटी उन्नत सांभा मंसूरी के व्यवसायिक प्रसंस्करण की दिशा में प्रयास तेज किया जा रहा है। उक्त धान से निर्मित चावल मधुमेह रोगियों के लिए काफी उपयोगी माना गया है। इसमें शुगर का लेवल बहुत कम होता है। शुक्रवार को हरगौरी कृषक उत्पादक संगठन के सुरेश चंद्र पूर्वे की ओर से पोड़ैयाहाट प्रखंड के पूर्वेडीह ग्राम में उत्पादित धान बीज की नवीनतम वैरायटी उन्नत सांभा मंसूरी के व्यवसायिक प्रसंस्करण की जांच कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. रविशंकर एवं उनकी टीम ने की। बताया कि पिछले वर्ष सुरेश चंद्र पूर्वे ने हैदराबाद के आइसीएआर (भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान) से इस वैरायटी का आधार बीज मंगवाकर अपने खेत में उत्पादित किया था और अच्छी पैदावार भी लिया। इस बार सरकार का प्रयास है कि नई प्रजाति की फसल के साथ साथ उन्नत बीज किसानों को उपलब्ध कराना है। जिले की अग्रणी कृषक उत्पादक समूह-हर गौरी एफपीओ का भी प्रयास है कि इस उन्नत धान बीज का वितरण किसानों के बीच किया जाए। उन्नत सांभा मंसूरी धान बीज की विशेषता यह है कि यह 130 दिन में तैयार होता है। मधुमेह मरीजों के बीच बहुत लोकप्रिय होने के साथ साथ यह कई बीमारियों के लिए भी काफी प्रतिरोधी माना जाता है। यह प्रजाति अन्य किस्मों की तुलना में बेहतर उपज देती है। कम पानी में भी बेहतर पैदावार के लिए इसे इस बार खरीफ फसल में प्रायोगिक तौर पर उतारा जा रहा है। अन्य किस्मों की तुलना में 50 फीसद कम पानी में ही इसकी फसल तैयार हो जाती है। वहीं अधिक बारिश होने पर भी फसल को नुकसान बहुत कम होता है। इस प्रजाति में लगभग 50 ग्लाइसिडिक इंडेक्स है, जिससे मधुमेह के रोगियों के लिए यह चावल उपयुक्त है। इस बीच की उत्पादन क्षमता 60 क्विटल प्रति हेक्टेयर रही है।

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