ठाकुर से कुछ मांगने की जरूरत नहीं : रामानुज
संवाद सहयोगी, गोड्डा : कन्हवारा काली मंदिर परिसर में चल रहे संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज
संवाद सहयोगी, गोड्डा : कन्हवारा काली मंदिर परिसर में चल रहे संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का समापन सोमवार की देर रात हो गया। कथावाचक संत रामानुज शरण जी महाराज ने कथा के अंतिम क्षण में कृष्ण-सुदामा प्रसंग का मार्मिक द़ृश्य प्रस्तुत कर उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि सुदामा एक दरिद्र ब्राह्माण था लेकिन बड़ा ही स्वाभिमानी थे। होठों पर सदा कृष्णा-कृष्णा का रट लगाए रहते थे। दरिद्रता से तंग आकर पत्नी ने सुदामा को बाल सखा श्रीकृष्ण के पास जाने को विवश कर दिया। उन्होंने कहा कि ठाकुर के पास जाने से हाथ की लकीरें बदल जाती हैं। उनसे कुछ मांगने की जरूरत नहीं है। नंगे पांव चावल की पोटली लेकर मित्र के पास चल दिए। रास्ते में ठाकुर ही सुदामा को द्वारिका ले गए और सही रूप का दर्शन कराया। द्वारिकाधीश ने अश्रु से सुदामा का पैर धोया और कुछ मांगने को प्रेरित किया लेकिन सुदामा ने ठाकुर से कुछ नहीं मांगा। सुदामा के तीन मुट्ठी चावल में दो मुट्ठी चावल ठाकुर ने खाया और तीनों लोक के सभी ऐश्वर्य सुदामा के नाम कर दिया। तीसरी मुट्ठी खाकर बैकुंठ भी सुदामा के नाम करने ही वाले थे कि लक्ष्मी ने रोक दिया। कार्यक्रम को संगीमतय बनाने के लिए तबला पर बांके बिहारी झा, नाल पर अविनाश कुमार, पैट पर कृष्ण कुमार एवं अजीत मास्टर शामिल थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में मुखिया परमानंद साहा, सुबोध कॉपरी, गौरव कुमार, गौतम कुमार, अमोद कुमार आदि की अहम भूमिका रही।