जिनके हाथ पीले करने का पाला था अरमान, खून में रंगा था उनका शव
मुफस्सिल थाना क्षेत्र के कबरीबाद में सगी बहनों की आत्महत्या की घटना ने परिजनों के साथ-साथ क्षेत्र के लोगों का भी दिल दहला दिया।
जागरण संवाददाता, गिरिडीह: मुफस्सिल थाना क्षेत्र के कबरीबाद में सगी बहनों की आत्महत्या की घटना ने परिजनों के साथ-साथ क्षेत्र के लोगों का भी दिल दहला दिया। बेटियों की अच्छी तरीके से परवरिश करने में जुटे रामप्रसाद दास उर्फ गुड्डन दास को इस घटना ने झकझोर कर रख दिया। जब घर से एक साथ दो-दो बच्चियों की अर्थी निकली तो पूरे गांव में मातम पसर गया।
रामप्रसाद को इसका एहसास भी नहीं था कि मामूली बात पर थोड़ी सी डांट इतना बड़ा सदमा दे जाएगी। परिजन इस घटना से काफी मर्माहत हैं। साथ ही गांव के लोग भी इस घटना को लेकर काफी चितित हैं। गौरतलब है कि रामप्रसाद की दोनों बेटी बबीता व नैना ने मामूली डांट से आहत होकर कबरीबाद में बंद पड़ी खदान में जमा पानी में डूब कर आत्महत्या कर ली थी। इसमें से रविवार की दोपहर को बबीता का शव पानी में तैरते देख ग्रामीणों ने उसे बाहर निकाला और इसकी सूचना पुलिस को दी। इसके बाद शाम में नैना का शव भी उसी बंद पड़ी खदान से निकाला गया। दोनों शवों का सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों को सौंप दिया गया।
दोहरा सदमा दे गई बेटियां: मामूली बात पर बिदक कर आत्महत्या करने का कदम उठाने वाली दोनों बहनें अपने परिवार को दोहरा सदमा दे गई। परिवार के लोग एक बच्ची का शव बरामद होने की बात को ठीक से सहन भी नहीं कर पाए थे कि देर शाम को दूसरी बच्ची का शव मिलने से परिवार पूरी तरह से टूट गया। बेटियों को एक ओर सबल बनाने की दिशा में काम करने वाले मां-बाप लगे हुए थे, लेकिन उन्हें इस बात की तनिक भी भनक नहीं लग सकी कि मामूली बात पर बेटियां इतना बड़ा कदम उठा कर परिवार को इस कदर सदमा दे जाएंगी।
बेहतर तालिम हासिल कर रही थीं दोनों बहनें: आत्महत्या करने वाली दोनों बहनें बेहतर तालिम हासिल कर रही थीं। बच्चियों के पिता भी अपनी लाड़ली बेटियों को पढ़ा-लिखा कर बेहतर मुकाम दिलाने की हरसत पाले थे, लेकिन गुस्से ने उनकी हर हसरत पर मानो पानी फेर दिया। 18 वर्षीय बबीता कुमारी शहर के आरके महिला महाविद्यालय में इंटर में पढ़ रही थी, जबकि 16 वर्षीय नैना कुमारी बोकारो थर्मल स्थित सीसीएल के एक स्कूल में कक्षा नौवीं में पढ़ रही थी।
घर से शाम में निकली थी मेला देखने: दोनों सगी बहनें अपनी मां के साथ सेंट्रलपिट स्थित अखाड़ा में लगने वाले मेले में गई थीं। इसी बीच दोनों मां को छोड़कर चौक की तरफ निकल गई। काफी देर तक वापस घर नहीं लौटने पर पिता ने अपने बेटे को दोनों को घर लाने के लिए भेजा। भाई दोनों बहनों को खोजते हुए आ रहा था कि बुढि़याखाद के पास उसे दोनों मिल गई और वह अपने साथ उनदोनों को लेकर घर लौट गया। इस तरह बेवजह शाम में अकेले बाहर घूमना पिता को नागवार गुजरा और समझाने की नीयत से बेटियों को उन्होंने डांटा था।
घर के पिछले दरवाजे से निकली थी दोनों बहनें: डांट मिलने के बाद दोनों बहनों ने घर में एक जगह खड़ी हो कुछ मंत्रणा की। इसी बीच पिता उसकी मां को बच्चियों को समझाने के लिए कह रहे थे। तभी घर के पिछले दरवाजे से दोनों बहनें घर छोड़कर निकल गई, जिसकी भनक तक किसी को नही लगी। काफी देर बाद जब दोनों को घर में खोजा गया तो कहीं से कुछ पता नहीं चला। परेशान होकर पिता व अन्य परिजनों ने दोनों की खोजबीन अपने गांव से लेकर अन्य गांवों की ओर करना शुरू की लेकिन कहीं कोई जानकारी नहीं मिल सकी। हालांकि यह भी सूचना मिल रही है कि रात में यादव टोले के पास किसी ने दोनों बहनों को जाते हुए देखा था, लेकिन उसने इन दोनों से कुछ नहीं पूछा।
बच्चों से करें मित्रवत व्यवहार: महिला थाना की अवर निरीक्षक ललिता कुजूर ने कहा कि बच्चों में थोडी नादानी होती है। ऐसे में जब बच्चे गलती करते हैं तो उनके साथ सख्ती की बजाय प्यार व मित्रवत पेश आते हुए उन्हें उनकी गलती का एहसास कराना चाहिए। बच्चों को प्यार से समझाते हुए उनको आगे से ऐसी गलती नहीं करने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है।