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तालिबान की कैद में इनका उजाला, अब जागी उम्मीद

बगोदर का यह घाघरा एवं माहुरी गांव है। इन दोनों गांवों के लोगों ने पिछले साल दिवाली की खुशियां खुलकर नहीं मनाई थी। कारण यहां के तीन लोग तब तालिबान के कब्जे में थे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 11:02 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 11:02 PM (IST)
तालिबान की कैद में इनका उजाला, अब जागी उम्मीद
तालिबान की कैद में इनका उजाला, अब जागी उम्मीद

गिरिडीह : गिरिडीह का बगोदर इलाका। यहीं है घाघरा और माहुरी गांव। पिछले साल यहां दिवाली फीकी रही थी। हो भी क्यों न यहां के तीन वाशिंदे अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे में थे। वे केईसी इंटरनेशनल कंपनी की ओर से अफगानिस्तान में काम करने गए थे। अब उम्मीदें बंधी हैं। तीन में से एक घाघरा के प्रकाश महतो को तालिबान ने रिहा कर दिया, हालांकि वे घर नहीं लौटे हैं, पूरे परिवार के साथ भूटान में काम कर रहे हैं। हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड के बेड़म गांव निवासी काली महतो को हाल में तालिबान ने मुक्त कर दिया। वे मंगलवार की रात अपने घर आ गए। घाघरा के ही प्रसादी महतो एवं माहुरी गांव के हुलास महतो अभी भी तालिबान के कब्जे में हैं। इन दोनों परिवारों के आंसू थम नहीं रहे हैं।

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गांव वाले ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि इस बार का दीप पर्व बेनूर न हो। प्रसादी और हुलास की सकुशल वापसी हो जाए।

प्रसादी महतो की पत्नी मुलिया देवी और हुलास महतो की पत्नी प्रमिला देवी दोनों की चर्चा होते ही फफक उठीं। प्रमिला ने बताया कि घर में सास, ससुर, दो बेटे, एक बेटी और देवर है। सभी की जिम्मेदारी हुलास पर ही है। वहीं प्रसादी के परिवार में एक बेटा और एक बेटी है। मुलिया और प्रमिला कहती हैं कि डेढ़ साल से उनके परिवार का उजाला तालिबान के कब्जे में है। पूरा परिवार तब से कभी भी चैन की नींद नहीं सो सका। आंसू हमारी किस्मत बन गए हैं। हमारे लिए क्या दुर्गा पूजा और क्या दीप पर्व। अब तो तब खुशी मनाएंगे जब दोनों की वापसी होगी।

तालिबान ने किया था अगवा :

तालिबान के आतंकियों ने अफगानिस्तान के बाघलान प्रांत से 6 मई 2018 को भारतीय कंपनी केईसी इंटरनेशनल में काम करने वाले बगोदर के प्रकाश महतो, प्रसादी महतो, हुलास महतो, हजारीबाग के काली महतो, बिहार के मंटू सिंह एवं केरल के दो इंजीनियर को अगवा किया था। अपने आतंकियों की रिहाई के लिए अमेरिका एवं अफगान सरकार पर दबाव बनाने के लिए तालिबान ने यह किया था। 17 मार्च 2019 को तालिबान ने प्रकाश महतो को रिहा कर दिया था। हाल में अमेरिका और अफगान सरकार से वार्ता के बाद तालिबान ने काली महतो एवं केरल के दोनों इंजीनियर को रिहा किया।

2014 से अफगानिस्तान में कर रहे थे काम : प्रकाश महतो, प्रसादी महतो, हुलास महतो एवं काली महतो केईसी इंटरनेशनल में काम करने 2014 में अफगानिस्तान गए थे। तीन साल बाद 2017 में चारों घर लौटे थे। कुछ माह बाद सभी वापस अफगानिस्तान चले गए थे। उसके छह महीने बाद ही सभी को तब अगवा कर किया गया।

घर वापसी सुनिश्चित करे सरकार : भाकपा माले नेता व पूर्व विधायक विनोद सिंह ने केंद्र सरकार से सभी अगवा मजदूरों की रिहाई एवं घर वापसी सुनिश्चित करने की मांग की है। कहा कि रिहा होने के बावजूद प्रकाश महतो को घर नहीं भेजने के पीछे क्या कारण है यह स्पष्ट हो।

जब तक नहीं आएगा प्रसादी, भूटान में रहेगा प्रकाश : प्रकाश महतो अपने पिता जेठू महतो, मां, पत्नी चमेली देवी एवं पुत्र के साथ भूटान में है। केईसी कंपनी में प्रकाश एवं पिता जेठू काम कर रहे हैं। कंपनी सूत्रों के अनुसार प्रसादी महतो एवं हुलास महतो की रिहाई के बाद ही प्रकाश को घर वापस भेजने की योजना है। प्रकाश एवं प्रसादी दोनों का घर घाघरा गांव में है। कंपनी दोनों को एक साथ घर भेजना चाहती है। तालिबान की कैद से अन्य की रिहाई को कंपनी हर कोशिश कर रही है।


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