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फर्जी जॉबकार्ड बना बिचौलिए गटक रहे मनरेगा की राशि

गावां गिरिडीह गावां प्रखंड में मनरेगा योजनाओं के संचालन में ठेकेदारी प्रथा पूरी तरह स

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 06:45 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 06:45 PM (IST)
फर्जी जॉबकार्ड बना बिचौलिए गटक रहे मनरेगा की राशि
फर्जी जॉबकार्ड बना बिचौलिए गटक रहे मनरेगा की राशि

गावां, गिरिडीह : गावां प्रखंड में मनरेगा योजनाओं के संचालन में ठेकेदारी प्रथा पूरी तरह से हावी है। डोभा, टीसीबी, सड़क व तालाब आदि के निर्माण में मजदूरों के बजाय जेसीबी के प्रयोग की शिकायतें आम हो गई हैं, लेकिन इस बार एक अनोखा मामला सामने आया है। मनरेगा योजनाओं में बिचौलिए इस कदर हावी हैं कि कई ऐसे गांव हैं जहां फर्जी जॉबकार्ड बनवा दिया है। अमतरो पंचायत से ऐसी शिकायत मिलने पर बीडीओ मधु कुमारी ने टीम गठित कर जांच कराई। जांच में जो सामने आया, वह और भी चौंकानेवाला है। अमतरो पंचायत के कानीकेंद, धनेता, कुम्हैना, घोसी, कन्हैयामारण आदि गांवों में सैकड़ों फर्जी जॉबकार्ड बनाए गए हैं, जिनका इस्तेमाल बिचौलिए मनरेगा योजनाओं में पैसे की निकासी करने में करते हैं। कानीकेंद में 241 लोगों का जॉबकार्ड बनाया गया है, जबकि जांच में केवल 45 लोग ही मिले हैं बाकी के जॉबकार्ड किसने और किसके नाम पर बनाया है, यह किसी को पता नहीं है। धनेता गांव में 81 जॉबकार्ड बनाए गए हैं, जबकि मात्र 10-12 लोग ही धनेता में जॉबकार्डधारी पाए गए हैं। यहां बाकी के 70 जॉबकार्ड फर्जी बनाया गया है। कुम्हैना गांव में कोई भी आदिवासी परिवार निवास नहीं करता है, जबकि एक दर्जन से अधिक आदिवासियों के नाम पर जॉबकार्ड बनाया गया है।

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बेचिरागी गांव में 29 फर्जी जॉबकार्ड : अमतरो पंचायत के कन्हैयामारण गांव बेचिरागी है। बिचौलियों की मनमानी का आलम यह है कि यहां भी 29 मजदूरों के जॉबकार्ड बना दिए गए हैं, जबकि इस गांव में कोई रहता ही नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस बेचिरागी गांव में इतनी बड़ी गड़बड़ी का जिम्मेदार कौन है। सवाल तो यह भी है कि इन जॉबकार्ड के जरिए जो राशि की निकासी हुई है उसे कौन गटक गया।

बिचौलिए कैसे बनाते हैं फर्जी जॉबकार्ड : मनरेगा मजदूर के नाम पर फर्जी जॉबकार्ड का निर्माण कैसे और क्यों होता है, इसे जरा अब जान लेते हैं। जिन मजदूरों के नाम पर दूसरे गांव में जॉबकार्ड बना हुआ है, उन्हीं मजदूरों के नाम पर दूसरे गांव का पता बताकर पुन: जॉबकार्ड बनवा लिया जाता है। जॉबकार्ड बनवाने के लिए आधार की कॉपी देने के बजाय मनरेगा कर्मियों से सांठगांठ रखनेवाले बिना आधार कार्ड की कॉपी दिए ही जॉबकार्ड बनवा लेते हैं। चूंकि मनरेगा मजदूरों का भुगतान आधार से नहीं होकर खाते से होता है। एक ही व्यक्ति के तीन-तीन जॉबकार्ड बनवाकर तीन अलग-अलग बैंकों व डाक कार्यालय के खाते को जुड़वा दिया जाता है, ताकि बिचौलिए आसानी से व जल्दी पैसे की निकासी कर सकें।

फर्जी जॉबकार्ड बनवाने की शिकायत मिली थी, जिसके बाद अमतरो पंचायत में इसकी जांच के लिए दो टीमो को लगाया गया है। एक टीम ने रिपोर्ट सौंप दी है। दूसरी टीम की रिपोर्ट आने के बाद सभी फर्जी जॉबकार्ड को डिलीट किया जाएगा। साथ ही जो भी दोषी हैं उस पर कार्रवाई होगी।

मधु कुमारी, बीडीओ गावां,


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