डीडीसी बोले- टीबी विभाग को 15 साल पुराने पैटर्न को बदलने की जरूरत
जासं गिरिडीह स्वास्थ्य विभाग में जहां अत्याधुनिक तरीके से लोगों का इलाज चल रहा है वहीं
जासं, गिरिडीह: स्वास्थ्य विभाग में जहां अत्याधुनिक तरीके से लोगों का इलाज चल रहा है, वहीं आज भी टीबी विभाग करीब 15 साल पुराने पैटर्न पर काम कर रहा है। इसे बदलने की आवश्यकता है। जब तक पुराने पैटर्न पर विभाग काम करता रहेगा, निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकेगा। यह बातें उप विकास आयुक्त मुकुंद दास ने सोमवार को समाहरणालय में स्वास्थ्य विभाग के साथ समीक्षा बैठक में कही।
डीडीसी ने पूछा कि सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य को पूरा क्यों नहीं किया जा रहा है, विभाग को कहां परेशानी हो रही है। इस पर डीटीओ डॉ. एके खेतान ने बताया कि इस विभाग में स्टाफ की कमी है। कम स्टाफ रहने के बावजूद निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध 47 फीसदी पूरा कर लिया गया है। इस पर डीडीसी ने कहा कि फिलहाल 20 स्टाफ की बहाली करने की प्रक्रिया पूरी करते हुए नियुक्त कर लिया जाए। डीपीएम ने बताया कि टीबी के मरीजों को निश्शुल्क दवा तो दी जाती है, उनके खाते में 500 रुपये प्रतिमाह खाने के लिए सरकार के तरफ से दी जाती है।
यह भी बताया गया कि मरीजों द्वारा छोड़-छोड़कर दवा खाने से भी रोग ठीक नहीं होता है। जब किसी को भी इस बीमारी का पता चलता है तो उन्हें डोज के अनुसार दवा खानी चाहिए। बीच में इसे छोड़ देने के कारण बाद में हाई पावर की दवा देनी पड़ती है। इस रोग का पता लगाने के लिए जिले में दो सीडी नेट मशीन लगाया गया है, एक सदर अस्पताल में तो दूसरा बिरनी चिकित्सालय में। जिले के अन्य प्रखंडों से सहिया स्पूटम नहीं लाती है। उनका कहना होता है कि उसे लाने से उन्हें भी टीबी हो जाएगा। हालांकि ऐसी कोई बात नहीं है। इस पर डीडीसी ने सख्त निर्देश दिया कि जो भी सहिया यह काम नहीं करती हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। मौके पर डीपीएम राजवर्धन प्रसाद समेत सभी प्रखंड के चिकित्सा प्रभारी व बीपीएम उपस्थित थे।