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सखी वन स्टॉप सेंटर में नही पहुंची कोई पीड़िता

देश को निर्भया कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी मामले के पीड़ित महिला के उपचार के लिए एक कानून इजाद किया था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 11:28 PM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 11:28 PM (IST)
सखी वन स्टॉप सेंटर में नही पहुंची कोई पीड़िता
सखी वन स्टॉप सेंटर में नही पहुंची कोई पीड़िता

अंजनी सिन्हा, गिरिडीह: देश को निर्भया कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी मामले के पीड़ित महिला के उपचार के लिए एक कानून इजाद किया था। इसका उद्देश्य पीड़ित महिलाओं को विश्वास दिलाना था कि वह अकेली नहीं है। उसे न्यायिक, सामाजिक, चिकित्सीय और भावनात्मक रूप से सहयोग करना है। इसके लिए सखी वन स्टॉप सेंटर देशभर में खोलने का आदेश दिया गया था। गिरिडीह में यह सेंटर धरियाडीह में है।

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डालसा के सचिव मनोरंजन कुमार ने गुरुवार को सेंटर का निरीक्षण किया। बताया कि इस सेंटर का उद्देश्य ही महिलाओं के दिल में पड़े जख्म पर मरहम लगाना है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में केंद्र सरकार को निर्देश दिया था। इसी आदेश पर केंद्र सरकार ने एक ह•ार करोड़ रुपए इस सेंटर को देशभर में संचालित करने के लिए दिए थे। इस दिशा में पुन: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कार्य शुरू हुआ है। बताया कि गिरिडीह में बीते 8 मार्च को सेंटर का उद्घाटन किया गया था।

33 लाख रुपए मिले गिरिडीह सेंटर को: केंद्र सरकार से गिरिडीह सेंटर के लिए 33 लाख रुपए प्राप्त हुए हैं। इस बारे में सेंटर के पवन कुमार ने बताया कि 24 लाख रुपए भवन निर्माण के लिए आवंटित हैं। वही सेंटर के संचालन के लिए 9 लाख रुपए प्राप्त हुए हैं। शहर के धरियाडीह में नगर निगम के भवन में बनाए गए सेंटर में ह•ारों रुपए खर्च कर पांच बिस्तर लगाए गए हैं। इसमें आनेवाली पीड़ित महिला को तत्काल आश्रय दिया जाना है। डेढ़ माह में इस सेंटर में कोई पीड़िता नहीं पहुंची है। डालसा सचिव ने निर्देश देते हुए कहा कि सेंटर खुलने की जानकारी सभी थाना और प्रखंड स्तर के साथ महत्वपूर्ण स्थल पर दें। इससे कोई भी पीड़िता वहां पहुंचकर अपनी बातें रख सकें।

डालसा के साथ पुलिस, स्वास्थ्य और प्रशासन की भूमिका अहम: सखी वन स्टॉप सेंटर को संचालित करने में बजट के साथ पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की भूमिका महत्वपूर्ण है। सेंटर में आनेवाली पीड़ित महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला कांस्टेबल की तैनाती जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग से एएनएम की भी उपस्थिति जरूरी है, ताकि जख्मी महिला का उपचार हो सके। साथ ही एक पीएलवी की भी नियुक्ति की गयी है। मुआवजा भी देने का प्रावधान है।

अब कोर्ट के नजदीक सखी क्लिनिक खोलने की योजना: हालांकि पीड़ित महिला को भावनात्मक रूप से सुरक्षा और उज्ज्वल भविष्य की राह दिखानेवाली काउंसलर श्यामा प्रसाद की प्रतिनियुक्ति की गई है। पीड़ित महिलाओं को अस्थायी रूप से इसी सेंटर में आश्रय मिले, इसके लिए रहने और भोजन की व्यवस्था है। इसके बावजूद कोई भी पीड़िता अब तक वहां नहीं पहुंची हैं। निर्देश दिया कि इस सेंटर का प्रचार प्रसार ठीक से हो जिससे पीड़िता किसी भय से यहां पहुंच सकें। इसके लिए जल्द एक सखी क्लिनिक कोर्ट के नजदीक खोलने की बात कही। इस दौरान पैनल अधिवक्ता एके सिन्हा, बिपिन यादव, पीएलवी दिलीप कुमार, अनवारुल ह़क आदि मौजूद थे।


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