मौत का सौदागर बनी एनएच टू
डुमरी (गिरिडीह) : प्रखंड में इन दिनों सड़क दुर्घटनाएं आम हो गई हैं एवं इससे होनेवाले म
डुमरी (गिरिडीह) : प्रखंड में इन दिनों सड़क दुर्घटनाएं आम हो गई हैं एवं इससे होनेवाले मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। बीते 27 अक्टूबर को म्यांमार के कोलकाता में पदस्थापित कॉन्सुलेट जनरल पई सोइ की मौत एवं उसके एक पखवाड़े पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग टू के बेरमो मोड़ के समीप बने ओवरब्रिज के समीप बगोदर थाना क्षेत्र के हेसला की एक युवा दंपती की असामयिक मौत ने प्रखंडवासियों को झकझोर कर रख दिया है। प्रखंड के विभिन्न पथों में होनेवाली दुर्घटनाओं का आंकड़ा निकाला जाए तो हर सप्ताह औसतन एक या दो लोग असमय ही काल के गाल में समा ही जाते हैं। वहीं तीन से चार लोग हर सप्ताह आंशिक या गंभीर रूप से घायल हो ही जाते हैं जिसमें सबसे अधिक दुर्घटनाएं एनएच टू में ही होती हैं। दरअसल प्रखंड से विभिन्न सुदूरवर्ती क्षेत्रों को जोड़नेवाली तमाम सड़कें वर्तमान में या तो बन गई हैं या फिर बन रही हैं। यही कारण है कि सपाट व बिना ब्रेकर की सड़क देखकर लोग अपने वाहनों की गति पर नियंत्रण नहीं रख पाते और दोनों ओर से वाहनों की आवाजाही के क्रम में वाहन आपस में टकरा जाते हैं और दुर्घटनाएं हो जाती हैं।
धड़ल्ले से बढ़ रही है वाहनों की संख्या
बात सड़क दुर्घटनाओं में आई बढोत्तरी की करें तो इसके विभिन्न कारणों में एक कारण वाहनों की हुई बढोत्तरी भी है क्योंकि जिस संख्या में विभिन्न श्रेणियों के वाहनों में बढ़ोत्तरी हो रही है उस संख्या में सड़कों का विस्तारीकरण नहीं हो पा रहा है।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर होती है अधिक दुर्घटनाएं
आज के भागम भाग की ¨जदगी को और रफ्तार देनेवाले राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़कें इन दिनों सबसे अधिक ¨जदगियां लील रही हैं। डुमरी से बगोदर तक की हाइवे ने हर तरह की सड़क दुर्घटनाओं से लोगों को रूबरू कराया है। कहीं होटल के आगे सो रहे व्यक्ति को रौंदकर बस व अन्य वाहन उन्हें मौत की नींद सुला रहे हैं तो कहीं हाइवा व बस घरों में घूस जा रहे हैं। डुमरी से बगोदर तक यथा बेसिक स्कूल के समीप, सिमराडीह, कलाली रोड आदि विभिन्न क्षेत्रों में सड़क की एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए बनाए गए संकरें व छोटे रास्ते से निकलने के क्रम में तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर असमय ही लोगों की जानें जा रही हैं।
-टीन एजर्स हो रहे हैं दुर्घटना के शिकार : सड़क दुर्घटनाओं के होने के कारणों में इन दिनों कम उम्र के किशोरों व नवसिखुओं की भूमिका ज्यादा दिखाई देती है। कारण यह है कि ये लोग अपनी बाइक लेकर सड़कों पर निकल पड़ते हैं और बहुत ही तेज गति से उसे सड़कों पर दौड़ाते हैं। अचानक सामने से आनेवाले वाहनों या फिर सड़कों पर बने ब्रेकरों पर ये अपनी बाइक को नियंत्रित नहीं कर पाते और दुर्घटनाएं हो जाती हैं। 27 अक्टूबर को निमियाघाट थाना क्षेत्र के गलागी मोड़ के समीप इनोवा व मालवाहक वाहन के बीच हुई टक्कर की घटना ताजा उदाहरण है जिसमें म्यांमार के कॉन्सुलेट जनरल की असमय मौत हो गई थी तथा उनकी पत्नी सहित तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
यातायात नियमों की जानकारी नहीं होना भी दुर्घटनाओं का कारण
प्रखंड की विभिन्न सड़कों पर होनेवाली दुर्घटनाओं में से एक कारण वाहन या बाइक चालकों को यातायात की जानकारी नहीं होना भी है। चूंकि इस क्षेत्र के अधिकांश दोपहिया व तिपहिया वाहन चालकों को यातायात की जानकारी नहीं होती है। यही कारण है कि भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों और अति व्यस्तम मार्गों पर ऐसे चालक घबरा कर अपने वाहन पर से अपना नियंत्रण खो देते हैं जो अक्सर जानलेवा साबित होता है।
-हाइवा बना जानलेवा : प्रखंड के विभिन्न थाना क्षेत्रों में होनेवाले सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक जानें हाइवा के कारण ही जाती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि अधिकांश हाइवा चालक नौसिखुए होते हैं। उन्हें न तो यातायात के नियमों की जानकारी होती है और न ही अपने वाहन की गति पर नियंत्रण।
-ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन से नियमित वाहन जांच अभियान चलाने की मांग की : क्षेत्र में हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर दुख जताते हुए पुलिस प्रशासन से सभी सार्वजनिक स्थलों, चौक चौराहों व स्कूल कॉलेजों के समीप नियमित रूप से वाहन जांच अभियान चलाने की मांग की है।
इस बाबत स्थानीय ग्रामीण प्रो. शंकर ठाकुर, वेदप्रकाश पाठक, दामोदर दास, अलखनाथ, द्वारिका प्रसाद, महेंद्र बिंद, शशि पटेल, रवि अग्रवाल, लालू कुमार, फिरोज खान, अरूण ¨सह, संजय भगत, रंजीत अग्रवाल, रवि भारती, नमन कुमार, लालेश्वर महतो आदि का कहना है कि कम उम्र के वाहन चालकों के विरूद्ध यदि नियमित रूप से जांच अभियान चलाया जाए तो होनेवाली सड़क दुर्घटनाओं पर बहुत हद तक कमी आएगी। इन सभी लोगों ने अभिभावकों से भी अपने कम उम्र के बच्चों को बाइक न देने की अपील की है।